फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के बीच मास्को में वार्ता के बाद भी रूस-यूक्रेन में जारी गतिरोध नहीं टूटा है। मैक्रों द्वारा युद्ध की आशंका खत्म करने और आपसी विश्वास पैदा करने पर पुतिन ने कहा कि अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश उसकी सुरक्षा चिंताओं की अनदेखी कर रहे हैं।
यूक्रेन मसले पर पुतिन से दो बार फोन पर वार्ता के बाद मैक्रों मास्को पहुंचे। उन्होंने पुतिन से शांति और स्थिरता की बात कही। जवाब में पुतिन ने कहा कि रूस और फ्रांस की समान चिंता है। दोनों देश सोच रहे हैं कि यूरोप की सुरक्षा को लेकर क्या होगा। यूरोप की सुरक्षा से ही रूस और फ्रांस की सुरक्षा जुड़ी हुई है। दुर्भाग्य से रूस की सुरक्षा चिंता की ओर अमेरिका और नाटो का ध्यान नहीं है। रूस नाटो और यूरोपीय यूनियन से स्पष्ट जवाब चाहता है।
वार्ता के बाद रूसी राष्ट्रपति के क्रेमलिन कार्यालय के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि हालात जटिल हैं। महज एक बैठक से गतिरोध खत्म नहीं होगा।
उल्लेखनीय है कि यूक्रेन को नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) का सदस्य न बनाने को लेकर रूस स्पष्ट आश्वासन चाहता है। रूस इसे अपनी सुरक्षा के लिए अहम मानता है लेकिन अमेरिका और नाटो यह आश्वासन रूस को नहीं दे रहे।
रूस ने कहा कि यूक्रेन पर हमले की उसकी योजना नहीं है लेकिन उसकी सुरक्षा चिंताओं को दूर न किया गया तो वह सैन्य कार्रवाई कर सकता है। इस बीच जर्मनी ने लिथुआनिया में अपने 350 सैनिक तैनात करने का एलान किया है।
फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों और रूसी राष्ट्रपति पुतिन की वार्ता से पहले अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने मैक्रों से फोन पर बात की। उन्हें आगाह किया कि पुतिन से वार्ता में विशेष सतर्कता बरती जाए। यूक्रेन को लेकर कोई ऐसा आश्वासन पुतिन को नहीं दिया जाए जिसका रूस फायदा उठा ले और क्षेत्र में नाटो की ताकत कमजोर हो।
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