केरल की पहाड़ी मलमपुझा में 45 घंटे से फंसे पर्वतारोही युवक को तीनों सेनाओं ने संयुक्त अभियान ‘ऑपरेशन बाबू रक्षम’ चलाकर सुरक्षित बचा लिया। युवक को बचाने के लिए पहले राज्य सरकार की एजेंसियों ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया। सफलता न मिलने पर सेना से मदद मांगी। इस पर बेंगलुरु की पैराशूट रेजिमेंटल सेंटर और वेलिंगटन के मद्रास रेजिमेंटल सेंटर के योग्य पर्वतारोहियों और रॉक क्लाइंबिंग विशेषज्ञों की टीम को भेजा गया। इस टीम ने युवक से संपर्क साधा और 9 फरवरी की सुबह ‘ऑपरेशन बाबू रक्षम’ शुरू करके 45 घंटे से दो चट्टानों के बीच फंसे युवक को सुरक्षित निकाल लिया।
इस तरह चलायाल गया सेना का ऑपरेशन बाबू रक्षम
केरल में पलक्कड़ जिले की मलमपुझा में पहाड़ी पर 7 फरवरी को तीन दोस्तों ने चढ़ाई शुरू की। उसी दिन शाम को चेराड पहाड़ी पर दो चट्टानों के बीच इस पर्वतारोही दल का सदस्य 23 वर्षीय आर. बाबू फंस गया। दोनों दोस्तों ने आधे रास्ते में ही पर्वतारोहण छोड़ दिया और सुरक्षित रूप से पहाड़ी से नीचे उतर आए। पहाड़ी की दरार में युवक के फंसने की जानकारी उसके दोनों दोस्तों ने प्रशासन को दी। पर्वतारोही युवक के दोस्तों ने जानकारी दी कि वह पहाड़ी पर एक दरार में गिर गया, जब उसे चट्टानों से नीचे उतरने की कोशिश करते समय थकावट का अनुभव हुआ। गिरने के दौरान चोट लगने के बाद उसने उस स्थान की सेल्फी और तस्वीरें भेजीं। उसने शुरू में दोस्तों की कॉल का जवाब दिया, लेकिन वे उसे पहाड़ की दरार में नहीं ढूंढ पाए।
पहले राज्य सरकार ने किया प्रयास
इसके बाद फंसे युवक को बचाने के लिए केरल सरकार ने बचाव अभियान चलाया लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद बचाव दल युवक तक नहीं पहुंच सका। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की एक टीम ने भी उस व्यक्ति तक पहुंचने का प्रयास किया। राज्य सरकार ने उस तक भोजन और पानी भिजवाने की भी कोशिश की, लेकिन लगभग 26 घंटे में सफलता न मिलने पर केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने भारतीय सेना से मदद मांगी। सेना की दक्षिणी कमान के लेफ्टिनेंट जनरल अरुण ने को मुख्यमंत्री कार्यालय को बेंगलुरु से पर्वतारोहण और बचाव टीम भेजे जाने की जानकारी दी। सेना की बेंगलुरु स्थित पैराशूट रेजिमेंटल सेंटर और वेलिंगटन के मद्रास रेजिमेंटल सेंटर से योग्य पर्वतारोहियों और रॉक क्लाइंबिंग विशेषज्ञों की टीम मंगलवार को मौके पर भेजी गई।
हेलीकॉप्टर की भी ली गई मदद
तिरुवनंतपुरम के रक्षा प्रवक्ता ने बताया कि आर. बाबू को बचाने के लिए नौसेना के हेलिकॉप्टरों को तैनात किया गया। 8 फरवरी की सुबह नौसेना के हेलिकॉप्टरों ने पर्वतारोही युवक को बचाने के लिए कई उड़ानें भरीं, लेकिन खतरनाक इलाके के कारण उसे निकालने में विफल रहे। अभियान में शामिल अधिकारी युवक को भोजन और पानी भेजने के प्रयास में भी विफल रहे और आग जलाकर उसे जंगली जानवरों से दूर रखने के प्रयास किए। 8 फरवरी की आधी रात को सेना के दो अधिकारी, दो जेसीओ और वेलिंगटन से पांच अन्य रैंक के अधिकारी पहुंचे। 9 फरवरी की सुबह बेंगलुरु से वायुसेना के विमान से विशेषज्ञों की एक टीम मौके पर पहुंची और सुबह 6 बजे ‘ऑपरेशन बाबू रक्षम’ शुरू किया। प्रवक्ता ने कहा कि इस ऑपरेशन में सेना और नौसेना की टीमों के अलावा भारतीय वायुसेना के पैरा कमांडो को भी लगाया गया।