बिहार में साल 2018 के जनवरी महीने में बोधगया में दलाईलामा के कार्यक्रम के दौरान हुए ब्लास्ट की साजिश में शामिल आखिरी दोषी जेहीदुल इस्लाम को भी पटना की एनआईए न्यायालय ने सजा सुना दी। जाहिदुल इस्लाम उर्फ कौसर ने खुद अपना गुनाह कबूल किया था। अन्य दोषियों को न्यायालय पहले ही सजा सुना चुकी है।
एनआईए न्यायालय के विशेष न्यायाधीश गुरविंदर सिंह मल्होत्रा ने 11 को जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश के आतंकी बांग्लादेशी नागरिक जाहिदुल इस्लाम उर्फ कौसर को 10 साल कारावास की सजा सुनाने के साथ ही 38 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। बोधगया ब्लास्ट कांड में शामिल नौ में से आठ आरोपितों ने बीते दस दिसंबर को न्यायालय में आवेदन देकर अपराध स्वीकार किया था।
जाहिदुल इस्लाम ने जनवरी महीने में अपराध स्वीकार करने के लिए एनआईए न्यायालय में आवेदन दिया था। पिछले साल 26 दिसंबर को न्यायालय ने आठ में से तीन दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। वहीं, बाकी पांच को दस-दस साल की सजा सुनाई गई थी।
बता दें कि 19 जनवरी, 2018 को बोधगया में दलाईलामा की निगमा पूजा में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में विदेशी बौद्ध धर्मावलंबी और विशिष्ठ अतिथि आए हुए थे। घटना को अंजाम देने के लिए आरोपितों ने कालचक्र मैदान में बम को प्लांट किया था। महाबोधि मंदिर के मुख्य परिसर के पास विस्फोटक को रखा गया था। आईईडी आंशिक रूप से विस्फोट हुआ था।
सुरक्षा बलों ने अन्य बमों को निष्क्रिय कर दिया था। 9 फरवरी जाहिदुल इस्लाम उर्फ कौसर को तीन आईईडी लगाने का दोषी ठहराया गया था। समय रहते पुलिस ने एक बड़ी घटना को विफल कर दिया था। इस मामले में तीन अन्य दोषियों को उम्रकैद और पांच को दस-दस साल कैद की सजा पहले ही हो चुकी है।
मामले में पैगंबर शेख, अहमद अली उर्फ कालू और नूर आलम मोमिन को उम्रकैद, जबकि दिलावर हुसैन, आरिफ हुसैन उर्फ अनस उर्फ अताकुर उर्फ सैयद उर्फ आलमगीर शेख, मुस्तफा रहमान उर्फ शाहीन उर्फ तूहीन, मोहम्मद आदिल शेख उर्फ अब्दुल्लाह और अब्दुल करीम उर्फ फंटू शेख उर्फ करीम शेख उर्फ इकबाल को दस-दस साल कैद की सजा हुई थी।
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