पाली की दो बेटियों ने 14 फरवरी को जैन संतों के सान्निध्य में हजारों लोगों की मौजूदगी में सांसारिक जीवन छोड़ दीक्षा ले वैराग्य पथ अपना लिया। अब पाली की यशवंती को दीक्षा के बाद नया नाम साध्वी हेमयुग प्रज्ञा और पीनल को साध्वी प्राज्यदर्शा श्रीजी मिला है। भगवान आदिनाथ के साथ वेलेंटाइन-डे मनाने के लिए संयम पथ पर अग्रसर हुई इन बेटियों का लक्ष्य अब आठों कर्मों की बेड़ियां तोड़कर मोक्ष को प्राप्त करना हैं।
गुजरात के शंखेश्वर तीर्थ तथा रानी के अष्टापद जैन तीर्थ में जैन संतों के सान्निध्य में आयोजित दीक्षा कार्यक्रम में इन बेटियों के परिजनों समेत जैन समाज के हजारों लोगों की मौजूदगी रही। इनके माता-पिता ने अपनी लाड़ली को गले लगाकर भावुक विदाई दी।
जैन संतों के सान्निध्य में दीक्षा ग्रहण की
पाली के देवजी के बास में रहने वाले मनोज लोढ़ा की 21 वर्षीय पुत्री पीनल लोढ़ा ने सांसारिक जीवन छोड़कर अध्यात्म का मार्ग अपनाया। उन्हें नया नाम साध्वी प्राज्यदर्शा मिला हैं। बीए सैकेण्ड ईयर तक पढ़ी पीनल को शुरू से ही धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल होने व धार्मिक ग्रंथों को पढ़ने का शौक रहा। जैन साधु-संतों के प्रवचन सुन उनके मन में भी वैराग्य धारण करने की भावना जागी। अपनी इच्छा से पापा-मम्मी मनोज व सीमा लोढ़ा को अवगत करवाया तो उन्होंने भी आज्ञा दे दी। इसके बाद 14 फरवरी को उन्होंने जैन संतों के सान्निध्य में दीक्षा ग्रहण कर ली।
ये संत रहे उपस्थित
पाली के खौड़ के बास में रहने वाली 32 वर्षीय यशवंती कांठेड़ ने 14 फरवरी को जिले के रानी स्थित अष्टापद जैन तीर्थ में जैन संत हेमप्रज्ञ सुरीश्वर, मणिप्रभ सूरीश्वर, जैन संत नीति सूरीश्वर, महेन्द्र सुरीश्वर, मणिप्रभ विजय की निश्रा में दीक्षा ली। उन्हें नया नाम साध्वी हेमयुग प्रभा दिया गया। यशवंती कांठेड़ ने बीए तक की पढ़ाई की है। पिता शहर के जाने-माने कपड़ा व्यापारी हैं। यशवंती पिछले 10 वर्षों से वैरागी जीवन अपनाने की तैयारी कर रही थी। रात्रि भोजन का त्याग, बाजार की खाद्य सामग्री व मिठाइयों का त्याग कर दिया था। गर्म पानी पीकर अपना पूरा समय जैन आगम के अध्ययन में व्यतीत कर रही थी। हाल ही में जीरावला मित्र मंडल रोटी बैंक के तत्वावधान में आयोजित एक हजार यात्रियों की तीर्थ यात्रा में शत्रुंजय तीर्थ, गिरनार, शंखेश्वर, जीरावला, महुडी, कुंभरिया आदि तीर्थों की यात्रा भी की। धार्मिक शिक्षा में पंच प्रतिक्रमण सार्थ, नवस्मरण, चार प्रकरण सार्थ सहित कई तप व धार्मिक यात्राएं की।