अहमदाबाद में वर्ष 2008 में आतंकियों द्वारा कराए गए श्रृंखलाबद्ध धमाकों पर विशेष न्यायालय ने आदर्श निर्णय सुनाया है। देश में अपनी तरह के इस पहले निर्णय में न्यायालय ने आतंकी और उनके षड्यंत्र को लेकर कई टिप्पणी भी की है। जो प्रकरण के दोषियों के गंभीर अपराध को दर्शाती है।
ये आदमखोर तेंदुए को खुला छोड़ने के समान
न्यायालय ने इस प्रकरण में निर्णय देते हुए कहा है कि, ‘दोषियों ने एक शांतिपूर्ण समाज में अशांति उत्पन्न की है और यहां रहते हुए राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों को अंजाम दिया। उनका संवैधानिक तरीके से चुनी गई केंद्र और गुजरात सरकार के प्रति कोई सम्मान नहीं है और इनमें से कुछ सरकार और न्यायपालिका में नहीं बल्कि, मात्र अल्लाह में भरोसा करते हैं।’
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न्यायालय ने कहा कि, 38 दोषी मौत की सजा के योग्य हैं, क्योंकि ऐसे लोगों का समाज में रहना आदमखोर तेंदुए को खुला छोड़ने जैसा है, जो बिना परवाह किए निर्दोष लोगों को मारता है, वह यह नहीं सोचता कि वह बच्चे हैं, युवा हैं या वृद्ध हैं और किस जाति या समुदाय से हैं।
ये है प्रकरण
न्यायालय के निर्णय की प्रति शनिवार को मीडिया को उपलब्ध कराई गई है। वर्ष 2008 में अहमदाबाद शहर में 70 मिनट के अंतराल में 21 श्रृंखलाबद्ध बम धमाके कराए गए थे। इन विस्फोटों में 56 निरपराधों की मौत हो गई थी और 200 लोग घायल हो गए। इस प्रकरण में 77 लोगों के विरुद्ध न्यायालय में सुनवाई चल रही थी।
8 फरवरी, 2022 को न्यायालय ने 77 लोगों में से 49 लोगों को दोषी माना था। इन धमाकों के पश्चात भी सुरक्षा एजेंसियों ने विस्फोटक बरामद किये थे। इन प्रकरणों में अहमदाबाद में 20 और सूरत में 15 प्राथमिकी पंजीकृत की गई थीं।
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