दिल्ली उच्च न्यायालय ने मदरसा और वैदिक पाठशाला को भी शिक्षा के अधिकार कानून के तहत लाने और समान सिलेबस लागू करने की मांग करने वाली याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। मामले में चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने 30 मार्च तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने सर्वोच्च न्यायालय की ओर से याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करने के बाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। याचिका में समान सिलेबस और समान पाठ्यक्रम लागू करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग करते हुए शिक्षा के अधिकार कानून के कुछ प्रावधानों को मनमाना और अतार्किक कहा गया है।
याचिका में क्या है?
याचिका में कहा गया है कि वर्तमान शिक्षा पद्धति सबको समान अवसर नहीं देता है। ये संविधान की धारा 14, 15 और 16 के विपरीत है। याचिका में कहा गया है कि शिक्षा का अधिकार कानून को न केवल मुफ्त शिक्षा के लिए होना चाहिए बल्कि बिना आर्थिक और सामाजिक भेदभाव के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अधिकार भी होना चाहिए।