यूक्रेन पर रूस के बढ़ते दबाव के बीच अलगाववादी क्षेत्रों डोनेत्स्क और लुहान्स्क को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देने के बाद विभिन्न स्तर पर वैश्विक प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है। वहीं, यूक्रेन की राजधानी कीव से रूस समेत दूसरे देश अपने राजनयिकों को वापस बुला रहे हैं।
अमेरिका समेत कई यूरोपीय देशों ने रूस के कदम की आलोचना के साथ अपने स्तर पर प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया है। वहीं, यूक्रेन में युद्ध की आहट के बीच तैयारियों के साथ कई क्षेत्रों को खाली कराने के निर्देश दिए जा रहे हैं। इसके अलावा दोनों विद्रोही इलाकों को अलग देश की मान्यता देने के बाद रूस वहां अपने नए राजनयिक गठजोड़ में जुट गया है।
कनाडा
पूर्वी यूक्रेन के दो इलाकों को अलग देश की मान्यता देने के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने 22 फरवरी को रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने का ऐलान कर दिया।
अमेरिका
वहीं, अमेरिका के विदेश मंत्री ब्लिंकन ने यूक्रेन पर लावरोव के साथ होने वाली मीटिंग रद्द कर दी। अमेरिकी राजनयिकों व अन्य स्टाफ को कीव से हटा लिया गया है। उन्हें पोलैंड में रुकने का आदेश दिया गया है।
इन 27 देशों ने लगाया प्रतिबंध
अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय यूनियन के 27 सदस्य देशों और कई अन्य देशों ने रूस पर प्रतिबंधों का ऐलान कर दिया है। अन्य पश्चिमी देशों को आशंका है कि स्थितियां बिगड़ने पर एक बड़ा युद्ध हो सकता है।
अमेरिका ने उठाया यह कदम
इससे पहले पुतिन के फैसले की प्रतिक्रिया में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूक्रेन से अलग होने वाले दोनों क्षेत्रों में सभी अमेरिकी आर्थिक गतिविधियां बंद करने और वहां से सभी वस्तुओं के आयात के साथ-साथ निवेश ठप करने के लिए एक्जीक्यूटिव आर्डर पर हस्ताक्षर किए।
12 फरवरी को रूस ने दी मान्यता
21 फरवरी को रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने डोनेत्स्क और लुहान्स्क को स्वतंत्र देश के तौर पर मान्यता दे दी। पुतिन ने यूक्रेन को रूस का अभिन्न अंग बताया। क्रेमलिन के अनुसार पुतिन ने यह कदम उठाने से पहले फ्रांस और जर्मनी के राष्ट्राध्यक्षों को फोन कर अपने निर्णय की जानकारी दी थी।
पुतिन ने दी थी चेतावनी
पुतिन ने कहा कि रूस चाहता है कि यूक्रेन नाटो में शामिल होने का अपना इरादा छोड़ दे। यूक्रेन यदि ऐसा करता है तो विवाद का समाधान नहीं निकल सकता है। उन्होंने पहले कहा था कि यूक्रेन यदि नाटो में शामिल होता है तो यह रूस की सुरक्षा के लिए सीधा खतरा होगा। रूस के इस कदम से पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति के बीच होने वाली शिखर वार्ता खटाई में पड़ गई।