अब टीबी निगेटिव!

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देश में कोरोना का आतंक है लेकिन टीबी और कुष्ठ रोग भी कम घातक नहीं है। कोरोना से जहां पिछले नौ महीनों में   एक लाख 36 हजार से ज्यादा लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है, वहीं देश में टीबी से हर वर्ष 4 लाख लोग दम तोड़ देते हैं। मुंबई महानगरपालिका ने इसकी गंभीरता को समझते हुए बड़ा कदम उठाया है। कोरोना महामारी के खतरे के मद्देनजर घर-घर जाकर लोगों की जांच कर रही बीएमसी अब लोगों के घरों में जाकर क्षय रोग और कुष्ठ रोग की जांच करने का निर्णय लिया है। एक दिसंबर से 16 दिसंबर तक इसके लिए एक अभियान चलाया जाएगा। इसका उद्देश्य संदेहास्पद टीबी और कुष्ठ रोगियों का पता लगाकर रोग को निगेटिव कराना है।

कोरोना महामारी से भारी, टीबी बीमारी
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में भारत में 4.23 लाख लोगों की मौत हुई। 2017 में जारी एक रिपोर्ट में 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने की महत्वाकांक्षी योजना है, लेकिन इसकी स्थिति चिंताजनक है। एक अनुमान के तहत हर साल देश में चार लाख से ज्यादा लोगों की मौत टीबी से हो जाती है। फिलहाल देश में प्रति 1 लाख लोगों पर 211 टीबी मरीज हैं। विश्व की बात करें तो हर साल 15 लाख लोगों की टीबी से मौत हो जाती है।

50 लाख से ज्यादा लोगों की जांच का लक्ष्य
मुंबई मनपा के इस अभियान के तहत मुंबई के 12 लाख 12 हजार 693 घरों में कुल 50 लाख 9 हजार 277 लोगों में टीबी और कुष्ट रोगियों की जांच की जाएगी। इसके लिए बीएमसी ने तीन हजार 451 दस्ते तैयार किए हैं। यह अभियान सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक चलाया जाएगा। यह जांच पूरी तरह मुफ्त की जाएगी। जांच में बीएमसी के स्वास्थ्य अधिकारी भी शामिल रहेंगे। इनकी जांच सरकार या महानगरपालिका की प्रयोगशाला में की जाएगी।

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टीबी के लक्षण
14 दिन से ज्यादा समय तक अगर खांसी ठीक नहीं होना और दो हफ्ते से ज्यादा समय तक बुखार बना रहना, दिन भर ठीक रहने के बाद शाम में बुखार आ जाना, वजन कम होना, थूक के साथ खून आना आदि टीबी के लक्षण हैं।

कुष्ठरोग के लक्षण
त्वचा पर लाल चकता बनना, त्वचा का तैलीय होना, ऐसे स्थान पर पसीना न आना, कान मोटा होना, कम सुनाई देना, आंख पूरी तरह बंद न होना, हाथ-पैर में झीनझीनी रहना या सुन्न हो जाना, हाथ-पैर की उंगलियां टेढ़ी हो जाना आदि कुष्ठ रोग की पहचान हैं।

ऐसे लोग रहें सतर्क
बीएमसी के कार्यकारी स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मंगला गोमारे ने जांच में लोगों से सहयोग करने की अपील की है।अगर परिवार में किसी को टीबी रोग रहा हो,या जिसे पहले कभी टीबी हुआ हो तो ऐसे लोगों के परिजनों को ज्यादा सतर्क रहने की जरुत है। जो लोग इस बीमारी से ग्रस्त हैं, उन्हें समय पर दवा लेना चाहिए और उसका कोर्स पूरा करना चाहिए। इसके साथ ही कुष्ठ रोग का इलाज शुरू में ही प्रारंभ करने से शारीरिक विकालंगता और बीमारी के अन्य प्रभाव से बचा जा सकता है।

 

 

 

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