रूस और यूक्रेन के मध्य युद्ध के बीच यूक्रेन की संसद ने राष्ट्रीय आपातकाल लागू कर दिया है। इससे पहले राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा परिषद (एनएसडीसी) के सचिव ओलेक्सी डैनिलोव ने बताया था कि एनएसडीसी ने डोनेत्स्क और लुहांस्क के क्षेत्रों को छोड़कर पूरे देश में आपातकाल की स्थिति घोषित करने का फैसला किया गया है। इसके बाद यूक्रेन की संसद ने आपातकाल लागू कर दिया है। यह आपातकाल अभी 30 दिन के लिए होगा। बाद में जरूरत पड़ने पर आपातकाल की समय सीमा 30 दिन के लिए और बढ़ाई भी जा सकती है।
यूक्रेन की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित
युद्ध की आशंका से एक ओर यूक्रेन की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हुई है, वहीं राजधानी कीव स्थित विभिन्न देशों के दूतावास बंद होने से निवेश पर बुरा असर पड़ा है। यूक्रेन से विदेशी नागरिक अपने देश लौट रहे हैं। भारत समेत कई देश अपने नागरिकों को यूक्रेन छोड़ने की सलाह दे रहे हैं। बीते कुछ हफ्तों में ही यूक्रेन में करोड़ों डालर का निवेश फंस चुका है। इन सब की वजह कुछ और नहीं, बल्कि रूसी ‘हाइब्रिड युद्ध’ है, जिसके कारण यूक्रेन की अर्थव्यवस्था तेजी से कमजोर पड़ने लगी है।
रूसी सैनिकों ने यूक्रेन को घेरा
दबाव बनाने के लिए रूसी सैनिकों ने यूक्रेन को तीन तरफ से घेर रखा है। ऐसे में यूक्रेन के बड़े और छोटे कारोबारी पेसोपेश में हैं। बंदरगाहों का संचालन करने वाली कंपनी टीआइएस ग्रुप के सीईओ आंद्रे स्टैवनित्जर ने कहा, ‘ऐसा क्यों है कि हम युद्ध के पहले ही उसका परिमाण भुगत रहे हैं । यूक्रेन की अर्थव्यवस्था में अस्थिरता वह सबसे बड़ा पहलू है, जिसके जरिये रूस उसे खोखला करने का प्रयास कर रहा है। इसके अलावा यूक्रेन साइबर हमलों, रूस प्रायोजित अलगाववादी आंदोलनों व सीमाओं पर तैनात करीब डेढ़ लाख रूसी सैनिकों के दबाव का भी सामना कर रहा है।
आर्थिक संकट, कामगारों की कमी
आर्थिक संकट का एक पहलू यह भी है कि देश के रेस्त्रांओं के पास चंद दिनों का भोजन बचा है और कामगारों की भी कमी होने लगी है। हाइड्रोजन उत्पादन योजना भी रुक गई है, जो यूरोप को रूसी गैस की निर्भरता से मुक्ति दिला सकती थी।