रूस-यूक्रेन युद्ध से आसमान पर कच्चे तेल का दाम! जानें, ब्रेंट क्रूड की कीमत में आया कितना उछाल

अनुमान लगाया जा रहा था कि 2022 में कोरोना संक्रमण में कमी होने के बाद ओपेक और ओपेक प्लस में शामिल देश कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ा सकते हैं। लेकिन यूक्रेन पर रूसी हमले के साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत ने छलांग लगा दी है।

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यूक्रेन पर रूसी हमले के साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत ने भी जोरदार छलांग लगाई है। 24 फरवरी को ब्रेंट क्रूड लगभग 7 प्रतिशत की उछाल के साथ 103.5 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर कारोबार किया। माना जा रहा है कि अगर अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप से तुरंत ही इस युद्ध पर रोक नहीं लगी, तो कच्चे तेल की कीमत 120 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में 24 फरवरी को कारोबार की शुरुआत होने के साथ ही कच्चे तेल ने प्रति बैरल 103.75 डॉलर के स्तर तक की छलांग लगा ली। हालांकि कुछ देर के कारोबार के बाद ब्रेंट क्रूड 103.5 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आकर स्थिर हो गया। माना जा रहा है कि इस युद्ध के कारण अमेरिकी दबाव में अंतरराष्ट्रीय समुदाय रूस पर और भी कड़े आर्थिक प्रतिबंध की घोषणा कर सकता है। इसकी वजह से रूस की ओर से अंतरराष्ट्रीय बाजार में होने वाली कच्चे तेल की आपूर्ति ठप पड़ सकती है।

मांग और आपूर्ती का अनुपात बिगड़ा
जानकारों का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में रूस से होने वाले कच्चे तेल की आपूर्ति ठप पड़ने से पहले ही आपूर्ति की कमी का सामना कर रहे अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की आपूर्ति काफी कम हो सकती है। रूस-यूक्रेन के बीच जारी तनाव के पहले ही कोरोना संकट का सामना करने के लिए तेल उत्पादक देशों के संगठन (ओपेक) और उसके सहयोगी देशों (ओपेक प्लस) ने कच्चे तेल के उत्पादन में काफी कटौती कर रखी थी। 20 फरवरी तक अंतरराष्ट्रीय बाजार में जरूरत के मुकाबले करीब 90 लाख बैरल कच्चे तेल की कम सप्लाई हो रही थी, जिसकी वजह से कच्चे तेल की कीमत में अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगातार तेजी का माहौल बना हुआ था।

2014 के बाद पहली बार आई इतनी तेजी
कच्चे तेल की कीमत में आई इस उछाल ने 2014 के बाद तेजी का एक नया रिकॉर्ड कायम किया है। सितंबर 2014 में ब्रेंट क्रूड 96.78 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया था। हालांकि 2014 के बाद कच्चे तेल की कीमत में लगातार गिरावट आई थी। लेकिन 2019 कोरोना संक्रमण के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों के धराशायी होने के बाद जिस तरह से ओपेक और ओपेक प्लस ने तेल के उत्पादन में कटौती की, उसके कारण कच्चा तेल पहले से ही काफी तेज होकर बिक रहा था। ऐसे हालात में रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुए युद्ध के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में अब कच्चे तेल की कीमत में आग लग गई है।

 104 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच
कच्चे तेल की कीमत में आई तेजी का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1 दिसंबर 2021 को ब्रेंट क्रूड की कीमत 68.87 डॉलर प्रति बैरल थी, जो अब 104 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गई है। इस तरह से ढाई महीने की अवधि में ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल प्रति बैरल 34.63 डॉलर महंगा हो चुका है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत में आई करीब 50 प्रतिशत की इस तेजी से कच्चे तेल का आयात करने वाले भारत जैसे देशों का ऑयल इंपोर्ट बिल लगातार बढ़ता जा रहा है।

उम्मीदों पर फिरा पानी
आपको बता दें कि 2021 के अंत तक अनुमान लगाया जा रहा था कि 2022 में कोरोना संक्रमण में कमी होने के बाद ओपेक और ओपेक प्लस में शामिल देश कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ा सकते हैं। ओपेक की ओर से इस आशय के संकेत भी दिए गए थे। ऐसा होने पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में कमी आने की बात भी कही जा रही थी। लेकिन रूस और यूक्रेन के बीच बने तनाव ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में नरमी आने की सभी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। क्योंकि दोनों देशों के बीच शुरू हुए युद्ध के कारण कच्चा तेल नई ऊंचाई की ओर बढ़ने लगा है।

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