रूस-यूक्रेन युद्ध से भारत में बढ़ेगी महंगाई! कैट ने बताए कारण

रूस-यूक्रेन युद्ध का सबसे अधिक असर पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों पर पड़ेगा। कच्चे तेल के दाम में वृद्धि से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी होगी।

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कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने 25 फरवरी को कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध से भारतीय अर्थव्यवस्था और व्यापार के बुरी तरह प्रभावित होने की आशंका है। भारतीय बाजार कोरोना महामारी से उबरने का प्रयास कर रहा है। इस युद्ध से कच्चे तेल के दाम में वृद्धि से महंगाई बढ़ सकती है। सोने की कीमतों में वृद्धि भी अन्य वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी का कारण बनेंगी। रुपया और कमजोर होगा। यह भारत के व्यापार संतुलन को भी प्रभावित करेगा।

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध से उत्पन्न वर्तमान स्थिति का विश्लेषण करते हुए कहा कि चालू वित्त वर्ष में भारत का कच्चे तेल का आयात 25.8 प्रतिशत तक बढ़ गया है, जिससे तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हुई है।

इस तरह बाजार होगा प्रभावित
थोक मूल्य सूचकांक में कच्चे तेल और संबद्ध उत्पादों की हिस्सेदारी 9 प्रतिशत है। कच्चे तेल में वृद्धि से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी होगी। इससे समग्र रूप से सभी वस्तुओं के दाम में बढ़ोतरी की आशंका है। इसके साथ ही माल की विनिर्माण और परिवहन लागत महंगी हो जाएगी। क्योंकि, कच्चे तेल का इस्तेमाल, प्लास्टिक, फार्मास्यूटिकल्स, मशीनरी, पेंट और कई अन्य वस्तुओं आदि के निर्माण में किया जाता है, जो कीमतों को और बढ़ाने का कारक बनेगा।

यूक्रेन से भारत में होता है इन वस्तुओं का आयात-निर्यात
कैट महामंत्री ने कहा कि भारत कच्चे तेल के अलावा, दवा, कच्चे माल, सूरजमुखी, जैविक रसायन, प्लास्टिक, लोहा और इस्पात आदि का यूक्रेन से आयात करता है, और फल, चाय, कॉफी, दवा उत्पाद, मसाले, तिलहन, मशीनरी और मशीनरी सामान आदि का निर्यात करता है। वहीं, भारत के साथ रूस व्यापार में 25वां सबसे बड़ा भागीदार है। रूस को भारत से 2.5 बिलियन डॉलर का निर्यात किया जाता है, जबकि रूस से $6.9 बिलियन डॉलर का आयात होता है। खंडेलवाल ने बताया कि भारत के व्यापारी सामान्य तौर पर यूक्रेन के आपूर्तिकर्ताओं को अग्रिम भुगतान करते हैं, जो अब अनिश्चितकालीन के लिए फंसने की उम्मीद है।

शिपमेंट फंसने पर बड़ा नुकसान
खंडेलवाल ने कहा कि यूक्रेन से आने वाले शिपमेंट यदि फंस जाते हैं, तो निश्चित रूप से इसका भारतीय व्यापारियों को नुकसान होगा। क्योंकि, दोनों के बीच युद्ध से डॉलर की कीमतों में अपेक्षित वृद्धि अन्य देशों के साथ व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी। इसका कारण यह है कि भारतीय व्यापारियों को शिपमेंट के समय प्रचलित कीमत का भुगतान करने के लिए मजबूर किया जाएगा। सोने की कीमतों में बढ़ोतरी घरेलू बाजार को प्रभावित करेगी। भारत का समग्र व्यापार भविष्य में अस्थिर होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि देश का व्यापारिक समुदाय मौजूदा संकट के समय में सरकार के साथ एकजुटता से खड़ा है।

सरकार के हर कदम का समर्थन
खंडेलवाल ने कहा कि देश में वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए कैट सरकार द्वारा उठाए जाने वाले किसी भी कदम का समर्थन करेगा। कैट ने केंद्र सरकार से रूस और यूक्रेन के बीच मौजूदा युद्ध पर नजर रखते हुए देश में व्यापार और वाणिज्य के लिए कुछ सहायक उपायों की घोषणा करने का आग्रह किया है।

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