भारत ने युद्ध क्षेत्र में फंसे भारतीय बच्चों को सुरक्षित निकालने के लिए की यह अपील!

भारत ने युद्ध क्षेत्र में फंसे भारतीय बच्चों को सुरक्षित निकालने की अपील की है। भारत सरकार ने निकासी की सुविधा के लिए यूक्रेन के पड़ोसी देशों में वरिष्ठ मंत्रियों को तैनात किया है।

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न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में यूक्रेन पर हमला करने पर रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया गया है। मास्को और कीव के बीच बढ़ते संकट पर वैश्विक संस्था में लाए गए प्रस्तावों पर एक सप्ताह से भी कम समय में भारत ने तीसरी बार मतदान नहीं की है। इसी बीच भारत ने युद्ध क्षेत्र में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालने की अपील की है। भारत ने यूक्रेन से सटे देशों को फंसे लोगों को निकालने के लिए अपनी सीमाएं खोलने के लिए आभार जताया है।

2 मार्च को संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि भारतीय छात्रों व नागरिकों को सुरिक्षत और निर्बाध रास्ते की हम मांग करते हैं। विशेष रूप से खार्किव और अन्य संघर्ष क्षेत्रों से, उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने निकासी की सुविधा के लिए यूक्रेन के पड़ोसी देशों में वरिष्ठ मंत्रियों को तैनात किया है।

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भारत यूक्रेन में बिगड़ते हालात पर बेहद चिंतित
हम यूक्रेन से सटी सीमा वाले सभी पड़ोसी देशों को अपनी सीमा खोलने और हमारे दूतावासों को सभी सुविधाएं देने के लिए धन्यवाद देते हैं। भारत यूक्रेन में बिगड़ते हालात को लेकर बेहद चिंतित है। खार्किव में एक भारतीय नागरिक की मौत हो गई थी। हम उनके परिवार और इस संघर्ष में अपनी जान गंवाने वाले प्रत्येक नागरिक के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं।

रूस को मिला चार देशों का साथ
यूएनजीए में प्रस्ताव पर यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता को सबसे मजबूत शब्दों में खारिज किया गया और रूसी सेना की तत्काल और पूर्ण वापसी की मांग की गई। महासभा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर यूक्रेन की संप्रभुता, स्वतंत्रता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने के लिए मतदान किया। यूएनजीए में रूस को बेलारूस, क्यूबा, उत्तर कोरिया और सीरिया का समर्थन मिला है।

यूक्रेन के खिलाफ आक्रामक
संयुक्त राष्ट्र के करीब 100 सदस्य देशों ने रूस के खिलाफ ‘यूक्रेन के खिलाफ आक्रामकता’ का प्रस्ताव को सह-प्रायोजित किया। प्रस्ताव पास होने के लिए 2/3 बहुमत की जरूरत थी। यूएनजीए का प्रस्ताव पिछले शुक्रवार को 15 देशों की सुरक्षा परिषद में परिचालित किए गए प्रस्ताव के समान था, जिसपर भारत ने भाग नहीं लिया था।

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