महाराष्ट्र राज्य परिवहन का सरकार में विलय की मांग को लेकर राज्य परिवहन निगम के कर्मचारी पिछले तीन महीने से अधिक समय से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। इस कारण एसटी सेवा बुरी तरह प्रभावित हो रही है। लेकिन अब जो खबर आ रही है, उससे एसटी कर्मचारियों को निराशा हो सकती है। राज्य सरकार एसटी को सरकार में विलय तो नहीं करेगी, लेकिन उसका निजीकरण करने का फैसला कर सकती है। सूत्रों ने बताया कि मुंबई उच्च न्यायालय द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी है। इस रिपोर्ट में एसटी के विलय का सुझाव दिया गया है।
कैबिनेट की बैठक में रिपोर्ट पर हुई चर्चा
मुंबई उच्च न्यायालय के सुझाव के अनुसार राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया था। समिति को यह रिपोर्ट देनी थी कि क्या राज्य परिवहन निगम का राज्य सरकार में विलय किया जा सकता है। समिति ने पहले मुंबई उच्च न्यायालय को अपनी रिपोर्ट सौंपी। उसके बाद यह रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी गई। इस रिपोर्ट पर कैबिनेट की बैठक में चर्चा हुई। यह चर्चा बजट सत्र की पूर्व संध्या पर की गई।
विलनीकरण संगत नहीं
रिपोर्ट में मुख्य सचिव समिति ने राज्य परिवहन निगम का राज्य सरकार में विलय की मांग को खारिज कर दिया है।समिति ने निष्कर्ष निकाला कि 90,000 से अधिक एसटी कर्मचारियों का विलय व्यावहारिक नहीं होगा। समझा जाता है कि बैठक में हड़ताल खत्म कराने की कोशिश के साथ ही एसटी के निजीकरण पर भी चर्चा हुई।
एसटी कर्मियों को एक और मौका
निगम के विलय पर समिति की रिपोर्ट आने के बाद यह स्पष्ट है कि अब एसटी का विलय संभव नहीं है। इसलिए कैबिनेट की बैठक में एसटी कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने के मुद्दे पर चर्चा हुई। बैठक में एसटी कर्मियों को एक और मौका देने का निर्ण लिया गया। हालांकि प्रतिदिन औसतन सौ से अधिक कर्मचारियों को निलंबित किए जाने का सिलसिला जारी है। 2 मार्च को 145 एसटी कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया। इसके बाद निलंबित कर्मचारियों की कुल संख्या 10,046 तक पहुंच गई है। सूत्रों ने कहा कि हड़ताल जल्द खत्म नहीं हुई, तो निगम को चरणबद्ध तरीके से निजीकरण किया जाएगा।