महाराष्ट्र विधानमंडल बजट सत्र का पहला दिन सत्र के हंगामेदार रहने का संकेत दे गया। सत्ता पक्ष और विपक्ष द्वारा एक-दूसरे पर लगाए गए आरोप-प्रत्यारोप ने इस बात पर मुहर लगा दी। उम्मीद के अनुसार ही सत्र की शुरुआत काफी हंगामेदार रही। हालांकि, हंगामे की शुरुआत विपक्ष के कारण नहीं, बल्कि सत्ताधारी दल की वजह से हुई।
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के अभिभाषण के दौरान सत्ता पक्ष के विधायकों ने ही जमकर नारेबाजी शुरू कर दी। नारेबाजी और हंगामा इतना बढ़ गया कि राज्यपाल बीच में ही अपना अभिभाषण छोड़कर विधानभवन से चले गए। इस दौरान विपक्ष प्रदेश के अल्पसंख्यक मंत्री नवाब मलिक के इस्तीफे की मांग को लेकर हंगामा करता रहा।
पहली बार हुआ ऐसा
परंपरा के अनुसार सत्र की शुरुआत राज्यपाल के अभिभाषण से होती है। इस बार भी परंपरा का पालन किया जा रहा था। लेकिन महाराष्ट्र के इतिहास में पहली बार यह परंपरा टूट गई। महामहिम ने जैसे ही अपना अभिभाषण शुरू किया, सत्ताधारी पार्टी के विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया।
इस बात से नाराज था सत्तापक्ष
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा कुछ दिनों पहले छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में दिए गए एक बयान से वे नाराज थे और वे उनका विरोध कर रहे थे। सत्तारूढ़ विधायकों की नारेबाजी के चलते राज्यपाल अभिभाषण बीच में ही छोड़कर निकल गए।
#WATCH | Maharashtra Governor Bhagat Singh Koshyari leaves his speech midway & leaves from Assembly on the first day of session, as Maha Vikas Aghadi MLAs shout slogans in the House
The Governor had allegedly made controversial statement over Chhatrapati Shivaji Maharaj recently pic.twitter.com/ofG1tNGhyD
— ANI (@ANI) March 3, 2022
विपक्ष ने बोला हमला
इसे लेकर विपक्ष ने सत्ताधारी पार्टियों पर हमला बोला है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा है कि सरकार राज्यपाल को वापस दिल्ली भेजने के प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है।
राज्यपाल ने क्या कहा था?
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने एक कार्यक्रम में कहा था, “महाराजा, चक्रवर्ती कई हुए हैं, लेकिन चाणक्य के बिना चंद्रगुप्त बनना संभव नहीं था, उसी तरह समर्थ रामदास के बिना शिवाजी के बारे में कल्पना भी नहीं की जा सकती। मैं शिवाजी या चंद्रगुप्त को कम नहीं आंकता। इनके पीछे मां का बहुत बड़ा योगदान है। लेकिन हमारे समाज में गुरु का बहुत बड़ा स्थान है। शिवाजी महाराज ने समर्थ रामदास से कहा कि आपकी कृपा से मुझे राज्य मिला।”