ऐसे हैं महाराष्ट्र के सरकारी नवाब! पढ़िए, भंगार बेचने से हवालात पहुंचने तक की दिलचस्प कहानी

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मुंबई की विशेष पीएमएलए न्यायालय ने 3 मार्च को महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी ) कस्टडी 7 मार्च तक बढ़ाए जाने का आदेश जारी किया। मलिक की कस्टडी 3 मार्च को खत्म होने के बाद उन्हें ईडी ने मेडिकल करवाकर विशेष न्यायालय में पेश किया था।

ईडी की ओर से पेश वकील अनिल सिंह ने न्यायालय को बताया कि नवाब मलिक ने कुर्ला में जमीन खरीदने के लिए दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर को पांच लाख रुपए दिए थे। इस संबंध में हसीना पारकर के बेटे का बयान दर्ज किया गया है।

फिलहाल मलिक की मुश्किलें खत्म होती नहीं दिख रही हैं। ईडी हिरासत के बाद न्यायिक हिरासत यानी जेल में भेजे जाने की पूरी संभावना बनी हुई है। फिलहाल मलिक के भंगार बेचने से लेकर ईडी के लॉकअप में पहुंचने तक की कहानी किसी फिल्म से कम दिलचस्प नहीं है।

परिवार का था भंगार का व्यवसाय
नवाब मलिक मूल रुप से उत्तर प्रदेश के बलरामपुर के रहने वाले हैं। उनका जन्म 20 जून 1959 को जिले के उतरौला तालुका के एक गांव में हुआ। उनका परिवार खेती के साथ ही व्यवसाय से भी जुड़ा हुआ रहा है। उनके परिवार का एक होटल मुंबई में था, जिसमें उनके सगे-संबंधी काम करते थे। इसके साथ ही कुछ सदस्य भंगार का भी व्यवसाय करते थे। नवाब मलिक के पिता का नाम मोहम्मद इस्लाम था। वे भंगार का व्यवसाय करते थे। बड़ा होने पर नवाब भी उनके साथ भंगार के व्यवसाय से जुड़ गए। विधायक बनने से पहले तक वे इसी व्यवसाय से जुड़े थे।

उर्दू स्कूल में की पढ़ाई
नवाब मलिक की शिक्षा की बात करें तो मुंबई आने के बाद स्कूली शिक्षा के लिए उनका एडमिशन सेंट जोसेफ इंग्लिश स्कूल में कराया गया। लेकिन उनके पिता को  उनका अंग्रेजी स्कूल में पढ़ना पसंद नहीं था। इसलिए उनका नामांकन एनएमसी के नूरबाग उर्दू स्कूल में करा दिया गया। कक्षा चार तक उन्होंने वहीं पढ़ाई की। उसके बाद डोंगरी के जीआर-2 में 7वीं कक्षा तक और सीएसटी क्षेत्र के अंजुमन इस्लाम स्कूल से 11वीं और 12वीं की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने स्नातक करने से पहले ही पढ़ाई छोड़ दी।

मलिक का परिवार
मलिक का निकाह 1980 में 21 साल की उम्र में कर दिया गया। उनकी पत्नी का नाम महजबीं है। उनके दो बेटे फराज और आमिर तथा दो बेटियां नीलोफर व सना हैं। मलिक ने 1992 में दंगों के बाद एक सांध्य अखबार सांझ समाचार भी शुरू किया था, हालांकि वह अधिक दिन तक नहीं चल सका और आर्थिक कारणों से दम तोड़ दिया।

बाबरी ढांचे के विध्वंस के बाद शुरू की राजनीति
1992 में अयोध्या में बाबरी ढांचे के विध्वंस के बाद उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की पार्टी समाजवादी पार्टी का आधार बनना शुरू हो गया था। मुंबई के मुस्लिम इलाकों में सपा का प्रभाव बढ़ते देख मलिक ने मौके पर चौका लगाया और वे उस पार्टी में शामिल हो गए।

इस तरह बन गए सरकारी नवाब
वर्ष 1995 के विधानसभा चुनावों में उन्हें कुर्ला नेहरू नगर से मैदान में उतारा गया। हालांकि मुस्लिम क्षेत्र होने के बावजूद वे चुनाव हार गए। शिवसेना के तत्कालीन नेता सूर्यकांत महाडिक ने उन्हें 50 हजार से अधिक मतों से परास्त कर दिया। हालांकि 1996 में वे यहीं से जीत प्राप्त करने में सफल रहे। उसके बाद 1999 में भी उन्होंने सपा के टिकट पर जीत हासिल की। कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सरकार में उन्हें राज्यमंत्री बनाया गया। इसके बाद वे राकांपा में शामिल हो गए।

भ्रष्टाचार के दलदल में फंसने पर गंवाना पड़ा मंत्री का पद 
वर्ष 2005-6 में विलासराव सरकार में मंत्री रहने के दौरान नवाब मलिक पर भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप लगा। उन पर माहिम की जरीवाला चाल पुनर्विकास परियोजना में भ्रष्टाचार का आरोप लगने के बाद सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। अन्ना के विरोध और जांच के बाद उनके पास से मंत्री की कुर्सी खिसक गई। हालांकि 12 वर्ष बाद सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में उन्हें बरी कर दिया।

दामाद पर गंभीर आरोप
नवाब मलिक के दामाद समीर खान नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के निशाने पर रहे हैं। 2021 में एनसीबी के तत्कालीन क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े की टीम ने उसे गिरफ्तार किया था। बाद में उसके खिलाफ 1 हजार पेज की चार्जशीट दायर की गई थी।

अंडरवर्ल्ड से संबंध होने का आरोप
नवाब मलिक ने कथित रूप से दाऊद के भाई इकबाल कासकर और उसके करीबियों से जमीन खरीदी है। भारतीय जनता पार्टी और महाराष्ट्र के नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने आरोप लगाया है कि सरदार वली खान और हसीना पारकर के खास सलीम पटेल के नवाब मलिक से व्यावसायिक संबंध हैं। इन दोनों ने नवाब मलिक के एक संबंधी की कंपनी को मुंबई के एलबीएस रोड पर स्थित करोड़ों की जमीन कोड़ियों के भाव बेच दी।

पिक्चर अभी बाकी है दोस्त
नवाब मलिक मुंबई नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो यानी एनसीबी के पूर्व मुंबई के विभागीय निदेशक समीर वानखेड़े पर काफी हमला करते रहे हैं। समझा जाता है कि अपने दामाद की गिरफ्तारी के बाद से वानखेड़े से खार खाए बैठे थे और वे मौके की तलाश में थे और उन्हें मौका मिल भी गया।

समीर वानखेड़े पर किया चौतरफा हमला
वर्ष 2021 में जब बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को एनसीबी ने गिरफ्तार किया, तो उनके खिलाफ मलिक ने जंग छेड़ दी। उन्होंने जहां उनके हिंदू होने पर सवाल उठाया, वहीं उनकी शादी और पहली पत्नी को लेकर भी घेरा। इस दौरान उन्होंने कहा था कि पिक्चर अभी बाकी है दोस्त। उनके द्वारा बोला गया यह संवाद अब उल्टा पड़ता दिख रहा है। फिलहाल उनके लिए भी अब यही कहा जा सकता है- पिक्चर अभी बाकी है दोस्त!

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