पाकिस्तान अपने आतंकी कार्यों से पीछे नहीं हट रहा है। इसके लिए उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनामी का सामना कर पड़ रहा है, परंतु आतंकी देश आतंकवादियों की आर्थिक आपूर्ति और गतिविधियों पर प्रतिबंध नहीं लगा रहा है। जिसका परिणाम है कि, एक बार फिर फाईनेन्शियल एक्शन टास्क फोर्स की ग्रे सूची में उसका नाम रखा गया है।
मनी लॉन्डरिंग और आतंकी गतिविधियों को वित्त पोषण पर पाकिस्तान अब तक प्रतिबंध नहीं लगा पाया है। इस संदर्भ में विश्व के सभी देशों पर निगाह रखनेवाली अंतरराष्ट्रीय एजेंसी द्वारा दिये गए 34 मानकों में से पाकिस्तान ने 32 पूरे किये हैं। परंतु, आतंकी गतिविधियों को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित करने की प्रतिबद्धता के लिए वह अपूर्ण है। इसके कारण एजेंसी ने उसे ग्रे सूची में रखा है।
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चार वर्षों से है ग्रे सूची में
पाकिस्तान पिछले चार वर्ष यानी 2018 से एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में है। प्रधानमंत्री इमरान खान पाकिस्तान को इस सूची से बाहर निकालने के लिए विश्व को दिखा रहे हैं कि वे एंड़ी चोटी की शक्ति लगा रहे हैं, परंतु सच ये है कि पाकिस्तान और आतंकवादियों के मजबूत नेटवर्क को तोड़ने में उनकी कोई रुचि नहीं है। वहां सरकार से प्रबल है आतंकियों की जन्मदाता उनकी गुप्तचर एजेंसी आईएसआई, जो आर्थिक रूप में, हथियारों के प्रशीक्षण रूप में और आतंकी संसाधन उपलब्ध करके उसे दिनों दिन मजबूत कर रहे हैं।