‘सिटी ऑफ डेस्टिनी’ के रूप में पहचान रखने वाले विशाखापत्तनम के समुद्र में बहुपक्षीय नौसैनिक अभ्यास ‘मिलन’ के 11वें संस्करण का समापन हो गया। दो चरणों में संपन्न हुए इस अभ्यास में 13 राष्ट्रों की नौसेनाओं ने हिस्सा लिया। हिन्द महासागर क्षेत्र में चीनी नौसेना के बढ़ते प्रभाव और आक्रामक रुख का मुकाबला करने के मद्देनजर इस अभ्यास में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण रही। साझेदार नौसेनाओं के बीच अनुकूलता, पारस्परिकता, आपसी समझ तथा समुद्री सहयोग बढ़ाने के लिए जटिल तथा उन्नत अभ्यास किए गए।
नौसेना प्रवक्ता के अनुसार अभ्यास में भाग लेने के लिए 6 देशों को आमंत्रित किया गया था, जिसमें से 40 नौसेनाओं ने अपने युद्धपोत भेजे। भारत के साथ क्वाड बनाने वाले अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के भी युद्धपोत अभ्यास में भाग लेने के लिए विशाखापत्तनम आए।
इन देशों ने भी लिया हिस्सा
इसके अलावा वियतनाम, म्यांमार, मलेशिया, दक्षिण कोरिया, बांग्लादेश और इंडोनेशिया की नौसेनाओं ने अपने युद्धपोत भेजे। साथ ही श्रीलंका, सिंगापुर, सेशेल्स और फ्रांस भी इस अभ्यास में शामिल हुए। इस वर्ष भारत की सैन्य कूटनीति का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए रूस, यूनाइटेड किंगडम, इजरायल, सऊदी अरब, इराक, ईरान, ओमान, कतर, कुवैत और यूएई, ब्रुनेई, फिलीपींस, मालदीव, केन्या, इंडोनेशिया और मॉरीशस को भी आमंत्रित किया गया था।
दो चरणों में पूरा हुआ मिलन
नौसेनाओं का बहुपक्षीय अभ्यास ‘मिलन’ दो चरणों में कुल 9 दिन में पूरा हुआ। बंदरगाह चरण 25 से 28 फरवरी तक तथा समुद्री चरण 01 से 04 मार्च तक चला। बंगाल की खाड़ी में आयोजित मिलन के 11वें संस्करण के समुद्री चरण में 26 जहाजों, एक पनडुब्बी तथा 21 विमानों ने भाग लिया। अभ्यास का समुद्री चरण सहभागी नौसेनाओं के बीच पारस्परिकता बढ़ाने के लिए अभ्यासों की एक श्रृंखला के साथ आरंभ किया गया था।
पहले दो दिनों का ऐसा था कार्यक्रम
समुद्र में अभ्यासों के पहले दो दिनों में अमेरिकी टोही विमान पी-8ए के साथ जटिल एंटी एयर वारफेयर ड्रिल शामिल थे, जो भाग लेने वाली नौसेनाओं के युद्धपोतों के साथ भारतीय लड़ाकू विमानों के हमलों में तेजी लाते थे। इसके अतिरिक्त कम उड़ान वाले हवाई लक्ष्यों के खिलाफ हथियारों से फायरिंग का अभ्यास किया गया, जिससे चालक दल की दक्षता प्रदर्शित हुई।
अभ्यास में शामिल थे ये कार्यक्रम
अभ्यास में भाग लेने वाले देशों के जहाजों ने भी भारतीय नौसेना के टैंकर के साथ समुद्र में पुनःपूर्ति के लिए अभ्यास किया, जिसके लिए सटीक कलाबाजी और नाविक कौशल की आवश्यकता होती है। अभ्यास के दौरान जटिलता में वृद्धि देखी गई जिसमें उन्नत पनडुब्बी रोधी अभ्यास, सतह लक्ष्य फायरिंग और जटिल परिचालन परिदृश्यों का सिमुलेशन शामिल रहे। मिलन के समुद्री चरण का उद्देश्य अंतर संचालनीय, समुद्री सहयोग को बढ़ाना और भाग लेने वाली नौसेनाओं के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना था। कार्यक्रम में हथियार फायरिंग, सीमैनशिप विकास, उन्नत पनडुब्बी रोधी युद्ध अभ्यास, क्रॉस डेक हेलीकॉप्टर लैंडिंग और सामरिक युद्धाभ्यास शामिल रहे। हेलीकॉप्टर उड़ानों के दौरान क्रॉस डेक लैंडिंग का अभ्यास किया गया।
समापन समारोह में छह विदेशी जहाजों ने लिया भाग
बहुपक्षीय नौसैनिक अभ्यास ‘मिलन’ का समापन समारोह अनोखे ढंग से आयोजित किया गया था, जिसमें भाग लेने वाले जहाजों के कमांडिंग अफसर हेलीकॉप्टर और नौकाओं से आईएनएस जलाश्व पर लंगर में पहुंचे थे। वर्चुअल मोड में हुए समापन समारोह में छह विदेशी जहाजों ने भाग लिया। समारोह की अध्यक्षता पूर्वी बेड़े के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग रियर एडमिरल संजय भल्ला ने की। भाग लेने वाले देशों के कमांडिंग अधिकारियों ने सुव्यवस्थित बंदरगाह और समुद्री चरण की सराहना की। इसमें मित्र देशों के सभी भाग लेने वाली इकाइयों के वरिष्ठ अधिकारियों, कमांडिंग अधिकारियों और योजना टीमों ने भाग लिया।