इंडियन मेडिकल एसोसिएशन( आईएमए) के मुताबिक लाइफ स्टाइल बीमारी यानि मधुमेह और उच्च रक्तचाप से प्रभावित लोगों की संख्या बढ़ने के साथ ही किडनी से संबंधित बीमारियां बढ़ रही और आगे भी बढ़ेंगी। आईएमए ने अनुमान लगाया है कि साल 2040 तक किडनी रोग से संबंधित मौतें देश में 5वां प्रमुख कारण होंगी।
5 मार्च को विश्व किडनी दिवस के मौके पर आयोजित दो दिवसीय सेमिनार में आईएमए के महासचिव डॉ. जयेश एम लेले ने बताया कि दुनिया भर में 90 करोड़ से अधिक लोग किडनी से संबंधित बीमारी से पीड़ित हैं।
दो दिवसीय जागरुकता कार्यक्रम आयोजित
डॉ. लेले ने कहा कि आने वाले 20 सालों में देश में हर 10 में से एक वयस्क को किडनी की बीमारी हो सकती है और अगर इलाज न किया जाए तो यह बीमारी जानलेवा भी हो सकती है। विश्व किडनी दिवस के अवसर पर 5 मार्च को, आईएमए दो दिवसीय जागरुकता कार्यक्रम आयोजित कर रहें हैं, जहां पूरे भारत के विशेषज्ञ गुर्दे की बीमारी पर अपनी बात रख रहे हैं। इस सम्मेलन का नाम आईएमए किडनीकॉन 2022 रखा गया है। इसमें इस बात पर प्रकाश डाला जाएगा कि गुर्दे की बीमारी विभिन्न तरीकों से कैसे हो सकती है और अक्सर लोगों और डॉक्टरों के बीच जागरूकता की कमी के कारण बहुत देर से निदान किया जाता है।
स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखना जरुरी
आईएमए के मुताबिक किडनी रोग से बचने के लिए लोगों को एक स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखना, नमक का सेवन कम करना, वजन कम करना, दर्द निवारक जैसी काउंटर दवाओं से बचना, पर्याप्त मात्रा में पानी पीना, शुगर और रक्तचाप को नियंत्रित करना आदि उपाय करना चाहिए। गुर्दे की बीमारी का पता लगाने के लिए मधुमेह और उच्च रक्तचाप से पीड़ित रोगियों जैसे उच्च जोखिम वाले रोगियों के लिए रक्त और मूत्र के नियमित परीक्षण करना चाहिए।
वर्ष 2006 में हुई विश्व किडनी दिवस की शुरुआत
विश्व किडनी दिवस को मनाने की शुरुआत साल 2006 में हुई थी। इसका उद्देश्य लोगों को किडनी से जुड़ी समस्याओं और उसके उपचार के बारे में जागरूक करना है। देश दुनिया में किडनी रोग से पीड़ित लोगों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। ऐसे में इसके प्रति सतर्कता और जागरूगता बेहद जरूरी है।