जब रंगों से सराबोर गोपिकाएं बरसाती हैं लट्ठ और रम जाते हैं गोप

बरसाने और नंदगांव में एक तरफ हुरियारे-हुरियारिनों के मध्य हास-परिहास, दूसरी तरफ हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं के जयकारे। इन सबके बीच लाठियों की तड़तड़ाहट रंगीली गली में गूंज उठती है।

205

द्वापरकालीन राधा-कृष्ण की लीलाओं का कलयुग में स्मरण कराने वाली नंदगांव और बरसाना की रंगीली गलियां इस बार 429 वीं लठामार होली की साक्षी बनेंगी। यहां बरसाना में 11 मार्च को तथा नंदगांव में 12 मार्च को लट्ठमार होली का आयोजन बड़ी ही भव्यता किया जाएगा।

ऐसी है परंपरा
विदित रहे कि, पुराने समय से चली आ रही परंपरा को जीवंत रखने को नंदगांव की हुरियारिनें हाथों में लाठियां और बरसाना के हुरियारे ढाल लेकर 12 मार्च को नंदगांव की रंगीली गली में लठामार होली खेलेंगे। 10 फुट चौड़ी और 250 मीटर लंबी रंगीली गली में करीब 200 देहरी हैं। बरसाना के हुरियारे नंदबाबा मंदिर से दर्शन करने के बाद जब लौटकर आते हैं,  तब वहां नंदगांव की हुरियारिनें देहरी पर खड़ी होकर उनका इंतजार करती हैं। हुरियारे-हुरियारिनों से ब्रजभाषा में रचित सवैया के माध्यम से हंसी-ठिठोली करते हैं। तब उन पर हुरियारिनें लाठियां तान लेती हैं। जवाब में हुरियारे हुरियारिनों की लाठियों को अपनी ढालों पर लेना शुरू कर देते हैं। प्रेमभाव का ये हास-परिहास फिर से जीवंत होगा। इसी तरह एक दिन पहले बरसाना में नंदगांव के हुरियारे लाड़ली जी के दर्शन करते हैं और बरसाना की हुरियारिनों के साथ लठामार होली खेलती है।

ये है रंगीली गली का महत्व
माना जाता है कि द्वापरकाल में पहली लठामार होली भगवान श्रीकृष्ण और राधा ने रंगीली गली में ही खेली थी। ये रंगीली गली बरसाना में भी है और नंदगांव में भी। दोनों स्थानों पर उन्होंने होली खेली। इसलिए रंगीली गली में लठामार होली होती है।

ब्रज भक्ति विलास में है उल्लेख
नंदबाबा मंदिर के सेवायत ने बताया कि संवत 1602 में श्रील नारायण भट्ट दक्षिण के मदुरैपट्टनम से ब्रज में आए थे। संवत 1626 में श्रील नारायण भट्ट ने ब्रह्मांचल पर्वत पर श्रीजी विग्रह का प्राकट्यय किया था। नारायण भट्ट द्वारा रचित पुस्तक ब्रज भक्ति विलास में इस बात का उल्लेख है कि संवत 1650 में नंदगांव-बरसाना के ब्राह्मणों ने रंगीली गली में लठामार होली खेलकर इसकी शुरुआत की थी। इसी परंपरा का आज भी निर्वहन किया जाता है। ये 2078 वां संवत है।

लाठियों की तड़तड़ाहट से गूंजती है रंगीली गली
एक तरफ हुरियारे-हुरियारिनों के मध्य हास-परिहास, दूसरी तरफ हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं के जयकारे। इन सबके बीच लाठियों की तड़तड़ाहट रंगीली गली में गूंज उठती है। हर कोई उस क्षण को पलक झपकाए बिना एकटक निहारता है।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.