पूर्वी लद्दाख में सीमा पर चल रहे तनाव को हल करने के लिए भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की 15वें दौर की वार्ता 11 मार्च को होगी। इससे पहले 12 जनवरी को हुई 14वें दौर की बैठक में एलएसी के विवादित हॉट स्प्रिंग्स और कुछ अन्य क्षेत्रों से दोनों सेनाओं के विस्थापन पर चर्चा हुई लेकिन दोनों पक्ष किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे थे। चीन के साथ इस वार्ता में भारत का नेतृत्व लेह स्थित फायर एंड फ्यूरी कार्प्स के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता करेंगे।
चीन के साथ अब तक 14 दौर की वार्ता हो चुकी है। 10वें दौर की सैन्य वार्ता में सहमति बनने के बाद पैन्गोंग झील के दोनों किनारों, गोगरा पोस्ट और गलवान घाटी में विस्थापन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इन विवादित जगहों पर अब भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने नहीं हैं लेकिन हॉट स्प्रिंग्स के पेट्रोलिंग प्वाइंट 15, गोगरा क्षेत्र में पेट्रोलिंग प्वाइंट 17, डेमचोक और डेप्सांग में अभी भी यह प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही है। राजनीतिक, कूटनीतिक और सैन्य समझौतों के बाद फरवरी, 2021 में पैन्गोंग झील के दोनों किनारों पर विस्थापन होने के बाद से पूर्वी लद्दाख में एलएसी के अन्य विवादित क्षेत्रों में तैनात सैनिकों की संख्या में कमी नहीं आई है।
वर्तमान स्थिति
मौजूदा समय में एलएसी के पास 60 हजार चीनी सैनिक तैनात हैं, इसलिए भारत ने भी पूर्वी लद्दाख में निगरानी बढ़ा दी है। भारतीय पक्ष को इस 15वें दौर की वार्ता में विवादित क्षेत्रों का समाधान निकालने के लिए रचनात्मक बातचीत होने की उम्मीद है। पिछले दौर की वार्ता में कोई सहमति न बनने के लिए दोनों पक्षों ने एक-दूसरे को दोषी ठहराया है। भारतीय सेना का कहना है कि चीन के सामने एलएसी के विवादित क्षेत्रों का समाधान करने के लिए ‘रचनात्मक सुझाव’ दिए हैं, जबकि चीनी सेना ने एक बयान में कहा कि भारत ने ‘अनुचित और अवास्तविक’ मांगें रखीं लेकिन अपनी तरफ से कोई प्रस्ताव नहीं दे सका।
14वें दौर की वार्ता में क्या हुआ
दोनों देशों के बीच 14वें दौर की करीब 9 घंटे चली कोर कमांडर स्तरीय वार्ता के बाद साझा बयान में बताया गया था कि बैठक के दौरान दोनों पक्षों के बीच हुई चर्चा पूर्वी लद्दाख में एलएसी के साथ शेष मुद्दों के समाधान पर केंद्रित थी। बैठक में भारतीय पक्ष ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर मौजूदा स्थिति चीनी पक्ष की ओर से एलएसी की यथास्थिति बदलने तथा द्विपक्षीय समझौतों का एकतरफा उल्लंघन के प्रयासों की वजह से पैदा हुई है, इसलिए चीनी पक्ष शेष विवादित क्षेत्रों में समुचित कदम उठाए ताकि पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी पर शांति बहाल हो सके।