पंजाब में 111 दिन तक चली चरणजीत चन्नी कैबिनेट के मंत्रियों को भी पंजाब की जनता ने नकार दिया है। सीएम चन्नी खुद दोनों सीटों से चुनाव हारे और उनकी कैबिनेट में रहे 11 मंत्री विधानसभा नहीं पहुंच सके हैं। केवल सात मंत्री ही चुनाव जीतकर दोबारा विधानसभा में पहुंचने में कामयाब हुए हैं।
भदौड़ विधानसभा हलके से मुख्यमंत्री चन्नी को हराने वाले आप प्रत्याशी लाभ सिंह मोबाइल रिपेयर की दुकान पर काम करते हैं। उनकी मां एक स्कूल में चतुर्थ श्रेणी की कर्मचारी हैं। चमकौर साहिब में मुख्यमंत्री को हराने वाले भी चरणजीत सिंह ही हैं।
पंजाब की राजनीति में अक्सर कहा जाता है कि आनंदपुर साहिब से चुनाव जीतने वाले उम्मीदवार की ही सरकार बनती है। इस बार भी यह बात कायम रही है। आनंदपुर साहिब से विधानसभा स्पीकर राणा केपी को आप के हरजोत बैंस ने हराया है।
पंजाब में पिछले चुनावों पर अगर नजर दौड़ाई जाए तो यहां शिक्षा मंत्री कभी दोबारा चुनाव नहीं जीते हैं। इस बार भी राजनीति के दिग्गज शिक्षा मंत्री विजयइंद्र सिंगला चुनाव हार गए हैं। उन्हें चुनाव हराने वाली आम आदमी पार्टी की नरिंदर कौर भराज ने स्कूटी पर ही चुनाव प्रचार किया है। भराज ने चुनाव आयोग को दिए शपथ पत्र में अपने पास केवल 24 हजार रुपये का बैंक बैलेंस होने का दावा किया था।
चन्नी सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे ओपी सोनी चुनाव हार गए हैं, जबकि दूसरे उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा चुनाव जीत गए हैं। कांग्रेस ने अमरिंदर व चन्नी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे ब्रह्म मोहिंद्रा के बेटे को इस बार पटियाला रूरल से टिकट दी थी लेकिन वह भी सीट नहीं बचा सके।
पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल कड़ी मेहनत के बावजूद चुनाव हार गए हैं। मनप्रीत बादल के हारने पर पंजाब में आज कई जगह सरकारी कर्मचारियों द्वारा लड्डू बांटने के वीडियो भी वायरल हुए। चौतरफा घिरे होने के बावजूद कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, अरूणा चौधरी, सुखबिंदर सिंह सरकारिया, राणा गुरजीत सिंह चुनाव जीत गए हैं।
नवजोत सिद्धू के समर्थन में चन्नी मंत्रिमंडल में शपथ लेकर कार्यभार नहीं संभालने वाली रजिया सुलताना भी चुनाव हार गई हैं। सुलताना के पति एवं सिद्धू के सलाहकार मोहम्मद मुस्तफा चुनाव प्रचार के दौरान दिए गए बयानों को लेकर चर्चा में हैं। पंजाब पुलिस के एक अधिकारी तथा एक महिला कर्मचारी के साथ विवाद के चलते सुर्खियों में रहे कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु, रणदीप सिंह नाभा, राजकुमार वेरका, संगत सिंह गिलजियां तथा पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय बेअंत सिंह के पौत्र गुरकीरत सिंह कोटली भी चुनाव हार गए हैं।
नवजोत सिद्धू के समर्थन में कई बार स्टैंड लेने वाले खेल मंत्री परगट सिंह तथा प्रचार के दौरान बठिंडा से जलालाबाद तक बादलों को हराने व परिवहन मंत्री होते हुए बादल परिवार की बसों को बंद करके सुर्खियों में आए अमरिंदर सिंह राजा वडिंग़ चुनाव जीतकर दोबारा विधानसभा में पहुंचने में कामयाब हो गए हैं।
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