यूक्रेन पर रूस के हमले के 21 दिन पूरे होने बाद दोनों देशों के बीच युद्ध विराम के लिए कई दौर की वार्ता विफल होने के बाद 16 मार्च को सकारात्मक संकेत दिखने को मिले हैं। दोनों पक्षों के बीच समझौते के आसार दिखने लगे हैं।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने एक तरफ वार्ता के अधिक सार्थक होने की बात कही है, वहीं रूसी विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव ने कहा कि यूक्रेन के तटस्थ देश बनने की सहमति के साथ समझौते की उम्मीद बन सकती है।
रूस की शर्त
यूक्रेन को नाटो में नहीं शामिल होने की मांग रूस शुरू से कर रहा था। जिसके तहत यूक्रेन नाटो का मोह छोड़कर सीमित सेना के साथ स्वीडन की तरह तटस्थ देश की भूमिका में रहे। यूक्रेन के नाटो में शामिल होने फैसले के चलते बात इतनी बढ़ गई। वार्ता में यूक्रेन से रूस यही सुनना चाहता है कि वह नाटो से बाहर रहेगा।
समझौते की बढ़ी उम्मीद
रूसी विदेश मंत्री लावरोव ने मीडिया से कहा कि कुछ कारणों से दोनों पक्षों के बीच बातचीत आसान नहीं है। लेकिन किसी समझौते पर पहुंचने की उम्मीद बंधी है। सुरक्षा की गारंटी के साथ यूक्रेन के तटस्थ देश की स्थिति पर गंभीरता से चर्चा हुई। कुछ मुद्दों को मूर्त रूप देने का प्रयास हुआ है। मेरे विचार से हम समझौते के करीब पहुंच रहे हैं। उधर, क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि दोनों पक्ष यूक्रेन की स्थिति पर चर्चा कर रहे हैं। यदि वह आस्ट्रिया या स्वीडन की तरह कम सेना के साथ तटस्थ देश का रुख अपनाता है तो बात बन सकती है।
यूक्रेन का दावा : हमारी शर्तों पर तैयार हो रहा रूस
यूक्रेनी पक्ष का कहना है कि भारी सैन्य क्षति उठाने के कारण रूस इस संकट का समाधान निकालने के लिए हमारी शर्तों पर तैयार होता दिख रहा है। उम्मीद है कि कुछ हफ्तों में ही यह लड़ाई खत्म हो जाएगी।
ठोस आधार ले रही है वार्ता
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने अपने एक वीडियो संबोधन में कहा कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत ठोस आधार ले रही है। यूक्रेन के हित में कोई फैसला लेने के लिए थोड़ा समय और चाहिए। जेलेंस्की ने 15 मार्च को संकेत दिया था कि उनका देश नाटो का सदस्य नहीं बन सकता है।