2022 है बहुत खास… लोगों ने बताया इस बार कैसे मनेगी रंगभरी होली

125

रंग-उमंग और भाईचारे का शानदार पर्व होली को लेकर लोगों में खूब उत्साह है। पहले के समय में गांवों में तो एक महीने पहले से ही होली पर्व का असर दिखने लगता था। लोक गायन मंडली के सदस्य गीतों से समा बांधते रहते थे। हारमोनियम, ढ़ोलक, झाल, मंजीरे की मिठास और लोक गायकों के अलाप में लोग सुध-बुध खोकर शामिल हो जाते थे। होली में जोगीरा का अपना अलग मजा था, व्यंग्य को परोसने का बेजोड़ माध्यम जोगीरा का अब वह स्वरुप नहीं रहा और ना ही वह लोक गायन की परंपरा, ना गायन मंडली। फिल्मी गीतों के पैरोडी में गाए जाने वाले जोगीरा में ना तो अपनी मिट्टी की खुशबू है और ना ही अपनापन। कुछ जगहों पर लोक गायन की परंपरा को बुजुर्गों ने बचा कर रखा है। लेकिन होली के द्विअर्थी गीत के शोर में ढ़ोलक, झाल और मजीरा पर होने वाला सारा..रा..रा..रा.. गुम हो गया है।

ये भी पढ़ें – बीकानेर में मशहूर है ‘डोलची मार’ होली! जानिए, कब और कैसे खेला जाता है यह मस्ती भरा खेल

आज से दस साल पहले तक का वह समय था, जब बसंत पंचमी के साथ ही होली के उमंग में लोग मशगूल हो जाते थे। शाम होते ही गांव के लोग एक जगह एकत्रित होकर ढ़ोलक की थाप और मंजीरे की झंकार पर होली के गीत एवं जोगीरा में मशगूल हो जाते थे। होली के दिन लोग विद्वेष भुलाकर एक जगह एकत्रित होने के बाद गांव के हर दरवाजे पर जाकर होली के गीत एवं जोगीरा गाते थे। इस दौरान आपस में होने वाले हंसी-ठिठोली एवं मजाक से तन-मन सराबोर हो जाता था। 15-20 दिन पहले से हो रहे शोर के बाद होली के दिन गांव-मुहल्ला के बुजुर्ग एवं युवक गले में ढ़ोलक और हारमोनियम लटकाकर झाल के साथ गांव की हर दरवाजे पर जाकर जीवंत लोकगीतों से होली की मिठास घोलते थे। अपने मन की भावना को जोगीरा के माध्यम से व्यक्त करते थे। घर पर आए मेहमान को बाहर बुलाकर उनके साथ रंग, उमंग और ठिठोली से होली मनाया जाता था।

भारत के अलग-अलग राज्यों में कई तरह से मनाई जाती है होली, जो अलग-अलग प्रदेशों और स्थानों पर विभिन्न परंपराओं के साथ मनाया जाता है। इस बार होलिका दहन 17 मार्च और 18 मार्च को होली मनाई जाएगी।

इस होली त्योहार को लेकर लोगों की कुछ प्रतिक्रियाएं- जानिए क्या है?

दो साल बाद होली मनाई जा रही इस वजह से मैं होली को लेकर बहुत ही ज्यादा उत्सुक हूं। परिवार के साथ हमें होली मनाने का मौका मिल रहा तो तैयारियां तो जोर-शोर से चल रही है। इस महामारी से पहले की जो हम होली खेलते थे इस बार फिर से होली में हम और हमारे परिवार और रिश्तेदार डीजे पार्टी और रेन डांस में धमाल करेंगे। नए कपड़े, और भिन्न-भिन्न प्रकार के व्यंजन बनेंगे।
अंकिता सिन्हा

2020 के बाद इस साल मैं होली त्योहार को लेकर मैं काफी उत्सुक थी, लेकिन मेरी ये परिक्षा की डेट ने मेरे सारे एक्साइटमेंट खत्म कर दिए हैं। मैं होली में हमेशा अपनी बुआ के घर पे होली खेलती हूं उनके घर की होली में काफी अलग तरीके की मौज मस्ती, रेन डांस, डीजे पार्टी होती है जिसमें मुझे बड़ा मजा आता है। बुआ के घर पर और भी बहुत सारे रिश्तेदार आते है। सबके साथ होली की मस्ती और भी बढ़ जाती है।
आशी सिन्हा

आइए जाने अलग-अलग शहरों मे कैसे मनाई जाती है होली………..

नई दिल्ली:  भारत को विविधताओं का देश कहा जाता है। यहां स्थान बदलने के साथ-साथ बोली, परंपराएं और रहन-सहन का तरीका भी बदल जाता है। हर जगह पर्व मनाने का अंदाज और परंपराएं भी अलग-अलग होती है। होली एक ऐसा त्योहार है, जो अलग-अलग प्रदेशों और स्थानों पर विभिन्न परंपराओं के साथ मनाया जाता है. हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तारिख को रंग वाली होली खेली जाती है। भारत में कई जगह रंग को धुलेंडी (दुल्हेंडी) भी कहा जाता है.

(उत्तर प्रदेश) में ब्रज की होली मनाई जाती है।
भारत में सबसे ज्यादा मशहूर है ब्रज की होली है। बरसाना की लट्‌ठमार होली देश में ही नहीं विदेश में भी प्रसिद्ध है। महिलाएं लाठी से पुरुषों की पिटाई करती हैं, जबकि पुरुष उनसे बचने की कोशिश करते हैं। मथुरा-वृंदावन में रंगों से ही नहीं, बल्कि फूलों से भी होली खेली जाती है ब्रज की होली को लट्ठमार होली कहा जाता है।

(राजस्थान) में शाही तरीके से होली मनाई जाती है।
राजस्थान के उदयपुर में एक अलग ही अंदाज में होली खेली जाती है। यहां की होली को रजवाड़ा और शाही होली कहते है। यहां जूलूस भी निकाला जाता है, जिसमें हाथी, घोड़े से लेकर शाही बैंड शामिल होते है, जिसे देखने विदेशों से भी लोग यहां आते हैं।

(बिहार) कपड़े फाड़ होली
बिहार में होली को फाग या फगुआ भी कहते हैं। इस त्योहार पर यहां गाए जाने वाले फगुआ के अपने लोक गीत के तरीके के लिए अलग पहचान है। राज्य में कई स्थानों पर कीचड़ से होली खेली जाती है तो कई स्थानों पर कपड़े फाड़ होली खेलने की भी परंपरा है। होली के दिन रंग से सराबोर लोग ढोलक की धुन पर नाचते है और लोकगीत गाते हैं।

(महाराष्ट्र) गोविंद होली
महाराष्ट्र में रंगपंचमी में सुखा गुलाल खेलने की प्रथा है। महाराष्ट्र में गोविंदा होली की बहुत धूम होती है। होली पर यहां मटकी फोड़ होली खेली जाती है। इसके साथ ही पूरा माहौल रंगो से सराबोर हो जाता है। यहां पर होली को ‘फाल्गुन पूर्णिमा’ भी कहा जाता है।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.