रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 17 मार्च, 2022 को बंगलुरू, कर्नाटक में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की एक प्रयोगशाला एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट (एडीई) में सात मंजिला फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम (एफसीएस) इंटिग्रेशन फैसिलिटी का शुभारंभ किया। इस अत्याधुनिक परिसर को रिकॉर्ड 45 दिनों में बनाया गया है, जो परम्परागत, प्री-इंजीनियर्ड और प्रीकास्ट प्रणाली के साथ हाइब्रिड प्रौद्योगिकी से युक्त है। इस तकनीक को डीआरडीओ ने लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) के साथ मिलकर विकसित किया था। डिजाइन और तकनीक समर्थन आईआईटी मद्रास और आईआईटी रुड़की की टीमों ने उपलब्ध कराया है।
यह एफसीएस फैसिलिटी एडीई, बंगलुरू द्वारा विकसित किए जा रहे फाइटर एयरक्राफ्ट के लिए एवियॉनिक्स और एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के लिए एफसीएस के लिए अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) गतिविधियों के लिए समर्थन देगी। केंद्रीय रक्षा मंत्री ने कहा कि यह न सिर्फ देश के लिए, बल्कि दुनिया के लिए एक विशेष परियोजना है और नए भारत की नई ऊर्जा की प्रतीक है। उन्होंने भरोसा जताया कि यह फैसिलिटी राष्ट्रीय सुरक्षा को बढावा देने में एक लंबा सफर तय करेगी। उन्होंने कहा, “यह ऊर्जा सार्वजनिक क्षेत्र, निजी क्षेत्र और शिक्षाविदों के बीच प्रौद्योगिकी, प्रतिबद्धता, संस्थागत सहयोग है और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा परिकल्पित ‘आत्मनिर्भर भारत’ से ऊपर है। परिसर कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के पायलटों को सिम्युलेटर प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराएगा।” श्री राजनाथ सिंह ने इसे परिसर के सबसे अहम कम्पोनेंट्स में एक बताया है। उन्होंने कहा कि सिम्युलेटर प्रशिक्षण से किसी प्रकार के नुकसान की संभावना के बिना गलतियों से सीखने का एक अवसर मिलता है।
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बढ़ेगी उत्पादकता
हाइब्रिड प्रौद्योगिकी के विकास के लिए डीआरडीओ और एलएंडटी की सराहना करते हुए रक्षा मंत्री ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि इससे निर्माण प्रक्रिया की उत्पादकता बढ़ेगी; संसाधनों के उच्चतम उपयोग को प्रोत्साहन मिलेगा; वेस्टेज के चलते नुकसान कम होगा और परियोजनाओं के तेज कार्यान्वयन में मदद मिलेगी। उन्होंने हाइब्रिड प्रौद्योगिकी को निर्माण क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण बताया और उम्मीद व्यक्त की कि भारत निर्माण प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी देशों में से एक हो जाएगा।
एसी है निर्माण प्रक्रिया
एफसीएस फैसिलिटी 1.3 लाख वर्ग फुट क्षेत्र में बनी एक इमारत है। 45 दिन में निर्माण पूरा करने के साथ, देश के निर्माण उद्योग के इतिहास में पहली बार हाइब्रिड निर्माण प्रौद्योगिकी के साथ एक स्थायी सात मंजिला भवन का निर्माण पूरा करने का एक अनोखा रिकॉर्ड बन गया है। हाइब्रिड निर्माण प्रौद्योगिकी में, ढांचे के खंभे और बीम स्टील की प्लेटों से बनाए गए हैं। खंभे खोखले स्टील ट्यूबलर सेक्शन के रूप में हैं। स्लैब आंशिक रूप से प्रीकास्ट हैं और इन सभी को साइट पर असेंबल किया गया है। ढांचे को एक रूप देने के लिए कांक्रीट बनाया गया है, जिससे हर शुष्क जोड़ को खत्म कर दिया गया है, जैसा प्रीकास्ट निर्माण के मामले में होता है। कंक्रीट से भरे खोखले हिस्सों के मामले में, स्टील एक स्थायी ढांचा उपलब्ध कराता है, जिससे समय बचता है और नेशनल बिल्डिंग कोड के नियमों के तहत वीआरएफ एयर कंडीशनिंग सिस्टम के साथ इलेक्ट्रिकल सिस्टम और आग से सुरक्षा भी मिलती है। सभी संरचनागत डिजाइन के मानदंडों का भी पालन किया गया है।