#SewaforUkrain यूक्रेन में बमों के बीच हिंदू संगठन की सेवा… जानिये भारतवंशियों का वह साहसपूर्ण कार्य जिससे घर लौटे हजारो विदेशी

रूस के स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन के अंतर्गत यूक्रेन पर अब तक 500 से अधिक मिसाइलों को प्रयोग हो चुका है। इससे उत्पन्न जानलेवा खतरे के बीच हिंदू विचारों की संस्था 'सेवा इंटरनेशनल' यूक्रेन में कार्य कर रही है।

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भारत के लगभग 22,500 छात्र यूक्रेन से सकुशल घर लौट आए हैं। भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन गंगा’ के माध्यम से युद्धग्रस्त यूक्रेन में फंसे अपने छात्र और नागरिकों को आसपास के देशों की सहायता से निकाला। परंतु, ये भारतीय और अन्य 11 देशों के नागरिक, यूक्रेन के अलग-अलग हिस्सों से कैसे सीमाओं तक पहुंचे यह बहुत रोचक किस्सा है। बम गोलों के बीच यूक्रेन के शहरों में कई गैर सरकारी सेवा संस्थाएं कार्य कर रही हैं। इसमें भारतवंशियों की संस्था ‘सेवा इंटरनेशनल’ भी है। जिसके स्वयंसेवक अपनी सुरक्षा दांव पर लगाकर काम कर रहे हैं।

यूक्रेन और पड़ोसी देशों में कार्य कर रहे स्वयंसेवक
सेवा इंटरनेशनल यूरोप में 26 देशों के स्वयंसेवक कार्य कर रहे हैं। जिनके कारण 32 हजार लोगों को यूक्रेन से बाहर निकलने में सहायता मिली है। सेवा इंटरनेशनल के स्वयंसेवक यूक्रेन के अलावा पड़ोसी देशों की सीमाओं पर हैं, जो स्वदेश वापसी के लिए यूक्रेन के अलग-अलग हिस्सों से लौटनेवाले छात्रों व नागिरकों को यातायात, भोजन, टेंट और सही जानकारी प्रदान कर रहे हैं।
विनोद पिल्लई – स्वयंसेवक संयोजक (अंग्रेजी न्यूज चैनल के साक्षात्कार से साभार)

यूक्रेन में सेवा इंटरनेशनल का कार्य
यदि सेवा इंटरनेशनल की बात करें तो, इस संस्था की यूक्रेन के 18 शहरों में उपस्थिति है। जिसमें सौ से अधिक स्वयंसेवक हैं। जो स्वदेश लौटनेवाले विदेशी छात्रों और विदेशी नागरिकों को बस व अन्य यातायात के साधन, भोजन आदि देकर सीमाओं पर भेज रहे हैं। जिससे पड़ोसी देशों से वे अपने देश लौट सकें।

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युद्ध प्रभावित देश में स्वार्थरहित सेवा
24 फरवरी को युद्ध की खबर मिली, हमने अपने स्वयंसेवकों को सक्रिय किया, प्रारंभ के दो दिनों में हमने देखा कि, गलत जानकारियां फैल रही हैं और सबकुछ अस्तव्यस्त है, लोगों में डर है। हमने तत्काल हेल्पलाइन का गठन किया, जिसमें यूरोप के अलग-अलग देशों में 350 वॉलिटियर्स थे, इसी के साथ यूक्रेन में हमारे साथ 100 वॉलंटियर्स थे। उन्होंने यूक्रेन में सहायता डेस्क गठित किया, लोगों के सुरक्षित रहने, भोजन की व्यवस्था की और लोगों को सही जानकारियां उपलब्ध कराई।
इसका तीसरा भाग था, यूक्रेन में बड़ी संख्या में आए छात्र या तो कुछ महीने पहले आए थे, या एक वर्ष पहले ही आए थे, उन्हें पता नहीं था, कि कहां से ट्रेन पकड़ें, कैसे ट्रेन पकड़ें और सीमा पर पहुंचें। हमने हेल्पलाइन के माध्यम से उन्हें सभी जानकारियां उपलब्ध कराईं।
हेरंब कुलकर्णी – मुख्य संयोजक, सेवा इंटरनेशनल (अंग्रेजी न्यूज चैनल के साक्षात्कार से साभार)

राहत व बचाव कार्य
यूक्रेन में सेवा इंटरनेशनल आपदा राहत और देश में सामान्य जनजीवन की बहाली के लिए कार्य कर रहा है। जिसके सकारात्मक परिणाम मिले हैं। रूस के स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन के बीच लोग अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। इन सबके बीच भारतीय मूल के सेवा इंटरनेशनल से जुड़े स्वयंसेवक दिन रात सहायता कर रहे हैं।

500 अफ्रीकी छात्रों को सुरक्षित निकाला
सूमी में फंसे छात्रों को निकालना सबसे बड़ी चुनौती थी। इसमें नाइजीरिया के राजदूत, सुमी विश्वविद्यालय से बड़ी सहायता मिली। वहां से छात्रों को निकालकर उनके यातायात की व्यवस्था करना चुनौती थी। सीमा की ओर जानेवाली ट्रेन पूरी तरह से भरी हुई होती थीं। ऐसे में छात्रों को बहुत सबेरे ही ट्रेन में बैठाकर भेजा गया।
हेरंब कुलकर्णी – मुख्य संयोजक, सेवा इंटरनेशनल (अंग्रेजी न्यूज चैनल के साक्षात्कार से साभार)

‘सेवा इंटरनेशनल’ का सेवाकार्य
12 हजार लोगों को युद्ध प्रभावित क्षेत्रों से निकाला
35 हजार युद्ध क्षेत्र में फंसे लोगों की सहायता
12 से अधिक देशों के नागरिकों को स्वदेश लौटने में सहायता
6 हजार हेल्पलाइन रिक्वेस्ट आई

स्वर्थरहित स्वयंसेवक
150 से अधिक स्वयंसेवक युद्धग्रस्त क्षेत्रों में कर रहे कार्य
350 से अधिक हेल्पलाइन स्वयंसेवक कार्यरत्
18 से अधिक शहरों में चल रहा राहत व बचाव कार्य
25 से अधिक देशों के स्वयंसेवक सेवा में लगे

भारतीय प्रधानमंत्री ने की प्रशंसा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन युद्ध में मानव सेवा के लिए कार्य करनेवाले सभी पक्षों और संस्थाओं की प्रशंसा की। वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के माध्यम से उन्होंने सेवा इंटरनेशनल के स्वयंसेवकों से चर्चा की और सेवाकर्यों की जानकारी प्राप्त की।

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