कोरोना से मौत का मुआवजा पाने के लिए किए गए झूठे दावों की जांच पर सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश सुरक्षित रख लिया है। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने झूठे दावों पर चिंता जताते हुए संकेत दिया था कि वह सीएजी को ऑडिट कर सच्चाई सामने लाने का आदेश दे सकता है।
14 मार्च को न्यायालय ने कोरोना से मौत के मामलों में मुआवजे के लिए झूठे दावों पर चिंता जताई थी। न्यायालय ने कहा था कि जब हमने मुआवजे का आदेश दिया था, तब कल्पना भी नहीं की थी कि इसके लिए झूठे दावे भी होंगे।
डॉक्टर दे रही हैं फर्जी प्रमाण पत्र
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीएजी से ऑडिट कराने का सुझाव दिया था। 7 मार्च को सॉलिसिटर जनरल ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया था कि सभी राज्यों में मुआवजा दिया जा रहा है, लेकिन यह समस्या भी देखने को आ रही है कि डॉक्टर नकली प्रमाणपत्र दे रहे हैं। 4 फरवरी को न्यायालय ने कोरोना से हुई मौत पर सरकारों द्वारा दिए जाने वाली मुआवजा राशि के भुगतान के मामले पर सर्वोच्च न्यायालय ने मुआवजे पर राज्य सरकारों की शिथिलता पर नाराजगी जाहिर करते हुए निर्देश जारी किया था कि कोरोना से अनाथ हुए बच्चों के साथ मुआवजे के सभी विवरण एक हफ्ते के भीतर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को दें।
आवेदन नहीं करने वालों तक मुआवजा पहुंचाने का प्रयास
न्यायालय ने सभी योग्य पीड़ितों तक मुआवजा पहुंच सके, इसके लिए राज्यों को राज्य विधिक सेवा प्राधिकार के साथ समन्वय बनाने के लिए एक अधिकारी की नियुक्त करने का भी निर्देश दिया था। न्यायालय ने कहा कि ऐसा करना इसलिए जरूरी है क्योंकि मुआवजे का लाभ उन सभी तक पहुंचे, जिन्होंने आवेदन नहीं किया है।
50 हजार मुआवजा देने का आदेश
सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले साल कोरोना से हुई हर मौत के लिए 50 हजार रुपए मुआवजे का आदेश दिया था। 4 अक्टूबर 2021 को न्यायालय ने कहा था कि मृतक के परिवार को मिलने वाला यह मुआवजा दूसरी कल्याण योजनाओं से अलग होगा। न्यायालय ने दावे के 30 दिनों के भीतर भुगतान करने का निर्देश दिया था। ये पैसे राज्यों के आपदा प्रबंधन कोष से दिए जाने का आदेश दिया गया।