ड्रैगन का बढ़ेगा टेंशन!

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ड्रैगन की जिद और दोगलेपन की वजह से लद्दाख में भारत- चीन के बीच तनाव खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। कई दौर की शांति वार्ता खत्म होने के बाद भी चीन शांति बहाली के लिए कोई ठोस कदम उठाने को तैयार नहीं है। इस वजह से पूर्वी लद्दाख में भारत- चीन के बीच तनातनी और तेज होती जा रही है। इस बीच भारत में आधुनिक लड़ाकू विमान राफेल के दो खेप आने के बाद फ्रांस ने एक और ऑफर देकर दोस्ती का फर्ज निभाया है। भारत सरकार उसके इस ऑफर पर गंभीरता से विचार कर रही है।

6 एयरबस, 330 मल्टी रोल ट्रांसपोर्ट टैंकर एयरक्राफ्ट की डील शामिल
इस ऑफर के तहत 6 एयरबस और 330 मल्टी रोल ट्रांसपोर्ट टैंकर एयरक्राफ्ट की डील शामिल है। यह एक मल्टी रोल मिड-एयर रिफ्यूलर एयरक्राफ्ट है। इसके भारतीय सेना के बेड़े में शामिल होने के बाद लद्दाख में भारतीय वायुसेना की स्थिति काफी मजबूत हो जाएगी। वर्तमान में हमारी वायु सेना के पास सात रुसी आईएल-76 एम रिफ्यूलर्स एयक्राफ्ट्स हैं। साउथ ब्लॉक के अनुसार भारतीय वायुसेना ब्रिटिश कंपनी से लीज पर एयरबस 330 एमआरटीटी लेना चाहती है, जबकि फ्रांस के प्रस्ताव में कम दरों पर 5-7 साल पुराने एयरक्राफ्ट्स शामिल हैं। भारतीय वायुसेना पिछले करीब 10 साल से एमआरटीटी एयरक्राफ्ट्स खरीदने की कोशिश कर रही है।

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आसमान में दो फाइटर जेट्स में ईंधन भरने में सक्षम
इस क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि एयरबस 330 एमआरटीटी में एयरबस के मुकाबले एयरबस 340 में काफी बड़े विंग्स हैं। इसकी मदद से वह एक ही समय में सेंट्रल रिफ्यूलिंग बूम सिस्टम से बीच आसमान में दो फाइटर जेट्स में ईंधन भर सकता है। एयरबस एयरक्राफ्ट के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह अत्याधुनिक, कुशल और उच्च शक्ति वाले इंजनों की वजह से केबिन और ईंधन में 260 कर्मियों को ले जा सकता है। एमआरटीटी को एक टैंकर या ट्रांसपोर्ट या फिर तीनों को एक ही समय में तीन चालक दल के साथ बदला जा सकता है।

भारत के लिए है काफी फायदेमंद
मीड एयर रिफ्यूलर्स भारतीय वायुसेना तथा भारतीय नौसेना के लड़ाकू विमानों के परिचालन में विस्तार करने के लिए काफी महत्वपूर्ण है। एक पूर्व वायुसेना प्रमुख का मानना है कि पोर्ट ब्लेयर से सुंडा, लेम्बार्ड या मलक्का स्ट्रेटस तक सुखोई-30 या राफेल के उड़ान भरने के समय मिड-एयर रिफ्यूलर्स काफी मददगार सिद्ध होते हैं। जानकारों का मानना है कि भारतीय वायुसेना के लिए यह यह पूरी तरह फायदे का सौदा है। क्योंकि कोरोना काल के चलते विश्व भर में एरियल प्लेटफार्म्स काफी निचले स्तर पर हैं। इस एयरक्राफ्ट्स में ईंधन की कमी नहीं होती, इसलिए यह लद्दाख के एयरबेस से सैनिकों के एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में या मेडिकल सामान पहुंचाने में काफी लाभदायक साबित हो सकता है।

जून से ही जारी है तनाव
 लद्दाख में चीन के साथ जून महीने से ही जारी तनाव में हमारी वायुसेना की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। वायुसेना ने एलएसी पर कई विमान तैनात कर रखे हैं ताकि चीन के किसी भी कार्रवाई का मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके।

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