#The Kashmir Files -1984 में महाराष्ट्र के पुत्र के खून से ही लिखी जाने लगी थी नरसंहार की कहानी! यह है सबूत

कश्मीर के आतंकी और जेहादी इस्लामियों के आतंकी हमले भारत के लोग लगातार झेलते रहे हैं। इसी आतंकी गतिविधि का शिकार हुए भारतीय राजनयिक रविंद्र हरेश्वर म्हात्रे। महाराष्ट्र के इस सपूत के नाम पर पुणे में एक पुल का नामकरण भी किया गया है, जो उनकी याद दिलाता है।

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द कश्मीर फाइल्स को लेकर विश्व में इस्लामी जिहादियों द्वारा किया गया हिदुओं का नरसंहार चर्चा में आ गया। जिन्होंने, अब तक इसे सुना भी न होगा, उन लोगों ने उस समय हुई बर्बरता को चलचित्र के माध्यम से देखा और दर्द को महसूस किया। परंतु, इस बर्बरता की कहानी बहुत पहले से ही लिख दी गई थी। यानी, वर्ष 1984 में ही कहें तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। इसी वर्ष महाराष्ट्र के सपूत को इंग्लैंड में कश्मीरी आतंकियों द्वारा गोली मार दी गई थी।

वर्ष 1990 में कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार की पटकथा इस्लामी जेहादियों ने बहुत पहले ही लिख दी थी, यानी वर्ष 1984 कहें तो उचित ही होगा। इसका सबसे बड़ा प्रमाण है 3 फरवरी, 1984 को इंग्लैड के लिसेस्टरशायर में हुई भारतीय दूतावास के राजनयिक रविंद्र हरेश्वर म्हात्रे का अपहरण और हत्या। यह हत्या क्यों हुई और कश्मीरी जेहादियों का इससे क्या संबंध है यह सबसे बड़ा प्रश्न है? जिसका उत्तर इस प्रकार है।

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कश्मीरी आतंक में हुतात्मा हुए महाराष्ट्र के म्हात्रे
भारतीय राजनयिक रविंद्र हरेश्वर म्हात्रे का 3 फरवरी, 1984 को अचानक अपहरण कर लिया गया। इसके बाद कश्मीर लिबरेशन आर्मी (केएलए) या जेकेएलएफ नामक एक इस्लामी आतंकी संगठन ने रॉयटर्स समाचार एजेंसी को पत्र भेजकर इसकी जानकारी दी। उन्होंने, धमकी दी कि, यदि उनकी मांग पूरी नहीं की गई तो वे राजनयिक की हत्या कर देंगे।

यह बात रॉयटर्स द्वारा स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस को दी गई। परंतु, आतंकियों के पास विश्व की सर्वोत्तम पुलिस पहुंच ही नहीं पाई। इस बीच कश्मीर लिबरेशन आर्मी के अंसारी नामक आतंकी ने एक धमकी भरा संदेश भेजा…

ऐसा लगता है, आप लोगों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया है। अब तुम इसका परिणाम भुगतो।

इसके बाद रविंद्र हरेश्वर म्हात्रे का शव लिसेस्टरशायर के हिन्कली नामक स्थान के फार्म में पाया गया। उनके सिर में एक गोली मारी गई और दूसरी उनके शरीर में मारी गई।

ये थी मांग
आतंकियों की मांग थी कि, जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) और ‘जम्मू कश्मीर नेशनल लिबरेशन फ्रंट’ (जेकेएनएलएफ) के संस्थापक मकबूल बट्ट को तत्काल छोड़ा जाए। जेकेएलएफ वही आतंकी संगठन है, जिसने इंडियन एयरलाइंस के विमान का अपहरण किया था और उसे कंधार ले गए थे। इसके अलावा जेकेएलएफ के आतंकियों ने 4 नवंबर, 1989 को न्यायाधीश नीलकंठ गंजू की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी थी। नीलकंठ गंजू ने सत्र न्यायालय मेंं जज रहते हुए अमर चंद की हत्या के आरोपी मकबूल बट्ट को मृत्युदंड की सजा सुनाई थी। इससे चिढ़े आतंकियों ने नीलकंठ गंजू को श्रीनगर के हरि सिंह स्ट्रीट मार्केट में गोली मार दी।

म्हात्रे के हत्यारे गिरफ्तार
रविंद्र म्हात्रे के अपहरण और हत्या का सबसे बड़ा कारण था, उन्हें सुरक्षा न प्राप्त होना। वे जिस पद पर थे, उस पद के अधिकारी सुरक्षा सीमा से बाहर थे। जिसका लाभ कश्मीर लिबरेशन आर्मी के आतंकियों ने लिया। हत्या के पश्चात पुलिस ने मोहम्मद रियाज और अब्दुल कय्यूम रजा को दिरफ्तार किया और उन्हें दोषी करार कर सजा दी। जबकि जम्मू कश्मीर लिपरेशन फ्रंट से संबद्ध तीसरा आतंकी मोहम्मद अस्लम मिर्जा को वर्ष 2004 में अमेरिका से गिरफ्तार किया गया।

मकबूल बट्ट कौन?
मकबूल बट्ट कश्मीर के कुपवाड़ा, त्राहगाम में 1938 में जन्मा था। उसने श्रीनगर के सेंट स्टीफेंन्स कॉलेज से इतिहास राजनीति शास्त्र में पढ़ाई की और उसके बाद पाकिस्तान के पेशावर विश्वविद्यालय में प्रवेश लेकर वहां चला गया। वहीं एक स्थानीय समाचार पत्र ‘अंजाम’ में काम भी करने लगा। इसके बाद पाकिस्तान परस्त मकबूल वहां से इंग्लैंड के बर्मिंघम गया और वहां जम्मू ‘कश्मीर लिबरेशन फ्रंट’ (जेकेएलएफ) की स्थापना की। जम्मू कश्मीर को लेकर उसका बागी मन यही नहीं थमा, उसने जेलेएलएफ की दूसरी शाखा ‘जम्मू कश्मीर नेशनल लिबरेशन फ्रंट’ (जेकेएनएलएफ) की स्थापना की। वर्षों बाद मकबूल पाकिस्तान से भारत में लौटा। वर्ष 1966 में जेकेएनएलएफ के आतंकियों और जम्मू कश्मीर पुलिस के बीच मुठभेड़ हुई, इसमें क्राइम ब्रांच के अधिकारी अमर चंद वीरगति को प्राप्त हुए। इसमें मकबूल बट्ट का साथी औरंगजेब भी मार गिराया गया।

क्राइम ब्रांच के अधिकारी अमर चंद की हत्या के आरोप में पुलिस ने मकबूल बट्ट को काला खान से गिरफ्तार किया। जिसे मुक्त कराने के लिए इंग्लैंड में जेकेएलएफ के आतंकियों ने महाराष्ट्र सपूत और भारतीय राजनयिक रविंद्र हरेश्वर म्हात्रे का अपहरण किया और हत्या कर दी।

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