यह बहुत ही अचंभे की बात लगती है, परंतु है सच। इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के टर्मिनल-2 में यह मजार (दरगाह) स्थित है। इसे पीर बाबा की दरगाह कहते हैं। इसके लिए एयरपोर्ट अथॉर्टी ऑफ इंडिया की ओर से नि:शुल्क बस सेवा संचालित की जाती है।
दिल्ली के इंदिरा गांधी हवाई को अति-सुरक्षा प्राप्त है। यहां का पूरा क्षेत्र केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के जिम्मे है, जो चौबीसों घंटे कड़ी निगरानी करते हैं। इस अतिसुरक्षित और संवेदनशील स्थान पर भी एक मजार है, जो टर्मिनल-2 के अंदर है और वहां जानेवाला व्यक्ति रनवे, टैक्सी बे से एकदम पास होता है।
मजार किसकी है और कैसे आई?
हवाई अड्डा परिसर में स्थित मजार बड़े बाबा (बाबा कालेखान) और छोटे बाबा (बाबा रोशन खान) की है। कहा जाता है कि, हुमायूं को वर्ष 1540 में परास्त करके शेर शाह सूरी ने दिल्ली पर राज किया था। उसी काल में काले खान नामक एक सूफी हुआ करते थे, हवाई अड्डे के रनवे और ब्लू डार्ट हैंगर के बीच बसी दरगाह उन्हीं काले खान की हो सकती है। यह हवाई अड्डा परिसर के अतिसुरक्षित क्षेत्र में कैसे बनी या हवाई अड्डा विस्तार में क्यों स्थानांतरित नहीं की गई, यह एक बड़ा प्रश्न है। वैसे, इस दरगाह में देखरेख करनेवालों को भी इसके निर्माण के बारें में अनभिज्ञता है।
चलती है नि:शुल्क बस सेवा, फूल और चादर की दुकान
देश के किसी भी हवाई अड्डा परिसर में सामान्य दुकानें शायद ही मिलें, लेकिन इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय अड्डे के टर्मिनल-2 पर फूल और चादर की दुकानें सजी रहती हैं। दरगाह के लिए एयरपोर्ट अथॉर्टी ऑफ इंडिया (भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण लिमिटेड) गुरुवार दोपहर 2 बजे से सायं 5 बजे तक कॉर्गो कॉम्प्लेक्स से टर्मिनल-2 तक नि:शुल्क बस उपलब्ध कराती है। यहां से चलकर जियारत के लिए लोग अंदर जाते हैं। मजार रनवे क्रमांक 10/28 एकदम पास है, विमान सामने ही दिखते हैं। दिल्ली हवाई अड्डा की विशालता और संवेदनशीलता को देखते हुए, यहां की सुरक्षा एक सबसे बड़ा मुद्दा है।
रेलवे लाइन, पुलिस थाने में मजार
मुंबई के माहिम पुलिस थाने में भी एक मजार है,जिसे मखदूम शाह बाबा की बताया जाता है। इसके अलावा प्रयागराज रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म क्रमांक एक पर लाइन बाबा दरगाह है।