कब होगा कश्मीर में आतक का अंत? डीजीपी दिलबग सिंह ने बताया

जम्मू-कश्मीर के डीजीपी ने कहा कि कश्मीर में बीते 30 वर्षों के दौरान बड़ी संख्या में बुजुर्ग, बच्चे, औरतें, नौजवान और सुरक्षाबलों के जवान व अधिकारी मारे गए हैं। कश्मीर ने बहुत तबाही देखी है।

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जम्मू-कश्मीर पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने 24 मार्च को स्थानीय आतंकियों से हिंसा का मार्ग छोड़ने की अपील करते हुए कहा कि कश्मीर ने बहुत खून-खराबा देख लिया है, अब लोग आतंकी हिंसा से पूरी तरह से आजादी चाहते हैं। इसलिए जिस किसी भी युवक ने बंदूक, पिस्तौल, ग्रेनेड थामा है, उसे छोड़ मुख्यधारा में शामिल होकर कश्मीर में शांति बहाली का काम करें।

डीजीपी दिलबाग सिंह पुलिस बलिदानी फुटबॉल प्रतियोगिता के फाइनल मुकाबले के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। पुलिस महानिदेशक ने कहा कि जब तक बंदूक और ग्रेनेड युवाओं को मिलते रहेंगे, वे गुमराह होकर आतंकी बनेंगे और निर्दाेष लोगों का खून बहाते रहेंगे। उन्होंने कहा कि हम इस पर काबू पाने के लिए पूरा प्रयास कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि जिन युवाओं ने गुमराह होकर आतंकी हिंसा का रास्ता अपनाया है, वे वापस मुख्यधारा में लौटेे और एक अच्छी जिंदगी जियें। उन्होंने कहा कि इसके लिए उन्हें आत्मसमर्पण कर हर संभव मौका दिया जाता है और अगर वह आत्मसमर्पण नहीं करेंगे तो मारे जाएंगे।

हमारे आतंकवाद विरोधी अभियान तब तक जारी रहेंगे..
डीजीपी ने कहा कि कश्मीर में बीते 30 वर्षों के दौरान बड़ी संख्या में बुजुर्ग, बच्चे, औरतें, नौजवान और सुरक्षाबलों के जवान व अधिकारी मारे गए हैं। कश्मीर ने बहुत तबाही देखी है, आम लोग शांति चाहते हैं, वे आतंकवाद और आतंकियों से आजादी चाहते हैं। कश्मीर में आतंकियों की संख्या संबंधी सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जब तक आतंकवाद पूरी तरह समाप्त नहीं होगा और जब तक एक भी आतंकी जिंदा रहेगा, हमारे आतंकरोधी अभियान जारी रहेंगे।

आ रहा है बदलाव
पुलिस महानिदेशक ने युवाओं की ऊर्जा को रचनात्मक गतिविधियों में लगाने और उन्हें राष्ट्रविरोधी तत्वों के दुष्प्रचार का शिकार होने से बचाने के विभिन्न उपायों का जिक्र करते हुए कहा कि कश्मीरी नौजवान अब असलियत को समझने लगा है। यही कारण है कि कल तक जिन नौजवानों के हाथ में पत्थर नजर आते थे,आज उनके हाथ में कलम है, किताब है, फुटबॉल है या फिर क्रिकेट का बल्ला है।

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