पांच दिनों के लिए काशी प्रवास पर आये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत 24 मार्च की शाम दशाश्वमेधघाट पर विश्व प्रसिद्ध सायंकालीन गंगा आरती में शामिल हुए। कड़ी सुरक्षा के बीच संघ प्रमुख लंका स्थित विश्व संवाद केन्द्र से सड़क मार्ग से रविदासघाट पहुंचे। यहां से काशी प्रांत प्रचारक और अन्य प्रचारकों के साथ लक्जरी विवेकानंद क्रूज पर सवार हुए। रविदास घाट से गंगा घाटों का विहंगम नजारा देखते हुए दशाश्वमेघ घाट पर सुरक्षा कारणों से क्रूज के छत पर बैठकर गंगा आरती देखी। इस दौरान उन्होंने दोनों हाथ जोड़ कर पवित्र गंगा को प्रणाम किया। उन्होंंने क्रूज पर बैठकर लगभग 30 मिनट तक आरती देखी, फिर क्रूज की छत पर खड़े होकर कुछ मिनट तक मां गंगा की आरती के दर्शन किए। इस दौरान भव्य गंगा आरती देख वो आह्लादित नजर आये।
गंगा आरती के बाद संघ प्रमुख गंगा के रास्ते ही ललिता घाट पर बने जेटी के जरिये गंगा द्वार से मंदिर पहुंचे। इस दौरान मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल और जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा भी मौजूद रहे। गंगा द्वार से आगे बढ़ते ही मंदिर के अर्चकों ने मंत्रोच्चार के साथ संघ प्रमुख का स्वागत किया। बाबा विश्वनाथ के स्वर्णिम गर्भगृह में पहुंच संघ प्रमुख ने विधि विधान से षोडशोपचार विधि से बाबा का दर्शन पूजन किया। मंदिर से वापस लौटते समय संघ प्रमुख विश्वनाथ धाम की सुंदरता देखते हुए वापस गंगा के रास्ते क्रूज से रविदासघाट फिर विश्वसंवाद केन्द्र लौट गये।
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27 मार्च को वापसी
काशी प्रवास के अंतिम दिन 27 मार्च को शाम छह से रात 8.30 बजे तक सरसंघचालक बीएचयू के स्वतंत्रता भवन में आयोजित कुटुम्ब स्नेह मिलन समारोह में शामिल होंगे। इसमें वे सपरिवार शामिल काशी महानगर में रहने वाले नगर स्तर पर्यंत सभी प्रवासी कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन करेंगे। संघ प्रमुख 27 मार्च की रात ही लखनऊ के लिए प्रस्थान कर जाएंगे।