केशव प्रसाद मौर्यः दो उपयोगिताओं से बनी मंत्री पद की बात

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केशव प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश के बड़े सियासी चेहरा हैं। पिछड़े वर्ग से ताल्लुक रखने वाले मौर्य हिन्दुत्व की राजनीति के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने शुरू से ही संघ और विश्व हिन्दू परिषद से जुड़े रहे। सक्रिय राजनीति में आए तो भाजपा के टिकट पर पहली बार 2012 के विधानसभा चुनाव में जीत के साथ शुरुआत की। इस बार के विधानसभा चुनाव में उन्हें भले ही हार का सामना करना पड़ा हो, लेकिन भाग्य ने उनका साथ दिया और वह एक बार फिर उप मुख्यमंत्री बनाए गए हैं।

सामान्य परिवार से हैं मौर्य
मौर्य बहुत ही सामान्य परिवार से आते हैं। उनका जन्म 07 मई 1969 को कौशांबी जिले के सिराथू में हुआ। वह कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के करीब आ गए थे। वह विश्व हिंदू परिषद में भी सक्रिय रहे और राम मंदिर आंदोलन से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2012 के विधानसभा चुनाव में पहली बार वह सिराथू विधानसभा सीट से विधायक चुने गए। इसके बाद भाजपा ने 2014 में उन्हें फूलपुर संसदीय सीट से चुनाव मैदान में उतारा और वे विजयी हुए।

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बने प्रदेशाध्यक्ष
आठ अप्रैल 2016 को उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष के रूप में उनकी ताजपोशी हुई। उनके नेतृत्व में भाजपा ने 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ा। पार्टी को ऐतिहासिक जीत मिली। इस विधानसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन को 325 सीटें हासिल हुईं। योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया। वहीं केशव प्रसाद मौर्य को उप मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली। प्रदेश सरकार में शामिल होने के बाद उन्होंने लोकसभा से इस्तीफा दिया और सितंबर में उन्हें विधानपरिषद का सदस्य बनाया गया। लोक निर्माण जैसा महत्वपूर्ण विभाग उनके पास रहा। उन्होंने प्रदेश में सड़कों का एक जाल बिछाया। योगी सरकार की उपलब्धियों में सड़क निर्माण भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

हार के बाद भी मिली जिम्मेदारी
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में वह एक बार फिर अपनी पुरानी सीट सिराथू से लड़े। भाजपा के स्टार प्रचारकों में शुमार मौर्य प्रदेशभर में दौरे करते रहे। वह विधानसभा चुनाव हार गए। चुनाव हारने के बावजूद पार्टी नेतृत्व ने उन पर भरोसा जताया है। एक बार फिर उन्होंने उप मुख्यमंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। उनके उप मुख्यमंत्री बनाए जाने के पीछे की वजह उनकी सामाजिक ताकत को माना जा रहा है। स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे ताकतवर नेता के भाजपा का साथ छोड़कर सपा में जाने के बावजूद भाजपा के साथ मौर्य समेत पूरा पिछड़ा समाज जुड़ा रहा। भाजपा में पिछड़े वर्ग के नेता के रूप में केशव सबसे बड़ा चेहरा के रूप में माने जा रहे हैं।

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