#HijabRow हिजाब के नाम महाराष्ट्र में भी हो सकता है संग्राम! लॉ कॉलेज की प्राध्यापिका को न्यायालय का निर्णय मान्य नहीं?

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मुंबई से लगे पालघर के प्रमुख शैक्षणिक संस्थान में हिजाब के नाम पर एक प्रधानाध्यापिका ने इस्तीफा दे दिया है। उसका आरोप है कि, उसके हिजाब पहनने के कारण उसे असहयोग का सामना करना पड़ रहा था। जबकि, पिछले दो वर्षों से विवा लॉ कॉलेज में प्रधानाध्यापिका रही कर्मी के आरोपों को प्रबंधन ने खारिज कर दिया है। हिजाब को लेकर महाराष्ट्र में अब तक कोई विवाद नहीं रहा है, अब इस नए प्रकरण से संग्राम छिड़ने की आशंका व्यक्त की जा रही है।

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कर्नाटक में हिजाब को लेकर उच्च न्यायालय ने बहुत स्पष्ट आदेश दिया था, जिसमें हिजाब को इस्लाम का अत्यावश्यक अंग न मानते हुए इसे अनिवार्य नहीं कहा गया। इसके विरोध में हिजाब के पैरोकार सर्वोच्च न्यायालय पहुंचे परंतु, वहां तत्काल सुनवाई को लेकर कोई सफलता प्राप्त नहीं हुई। इस बीच पालघर के विरार में स्थित विवा लॉ कॉलेज की प्रधानाध्यापिका ने हिजाब पहनने के कारण कॉलेज कर्मियों के असहयोग का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया। इससे अब हिजाब पर संग्राम छिड़ने के आसार हैं, जिसमें प्रश्न है कि, जब लॉ कॉलेज को दो वर्ष हिजाब पर कोई परेशानी नहीं हुई तो, अब क्यों यह मुद्दा उठा? क्या इसके पीछे कोई सोची समझी हिजाबी टूलकिट काम कर रहा है?

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हल्दी कुम-कम, सरस्वती वंदना पर सवाल
विवा लॉ कॉलेज की प्रधानाध्यापिका डॉ.बत्तुल हमिद ने अंग्रेजी के एक विशेष विचारों वाले समाचार पोर्टल को बताया कि, यह प्रकरण तब शुरू हुआ जब, कॉलेज में उनके समाज की कुछ छात्राएं प्रवेश के लिए आईं। इस पर प्रबंधन के कुछ लोगों ने अपनी धार्मिक भावनाएं संस्थान में प्रदर्शित करने का आरोप लगाया।

उन्होंने सवाल किये है कि, कॉलेज में हल्दी कुम कुम का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, सरस्वती वंदना की जाती है, क्या यह धार्मिक भावना का प्रदर्शन नहीं है। प्रधानाध्यापिका ने अपने इस्तीफे में लिखा है कि,

मेरी नियुक्ति 19 जुलाई, 2019 को हुई थी, मेरे कार्य को प्रबंधन और सहकर्मियों ने हमेशा सराहा। परंतु, पिछले कुछ दिनों से मैं अपने आसपास के माहौल से असहज महसूस कर रही हूं, इसका कारण है कि मेरे आसपास का वातावरण घुटनावाला और अशांत है। ऐसी स्थिति में मेरे लिए विवा लॉ कॉलेज की प्रधानाध्यापिका के रूप में कार्य करना बहुत कठिन है। अत: मैं अपने पद से त्यागपत्र देती हूं।

लॉ कॉलेज की प्रधानाध्यापिका क्या न्यायालय नहीं मानती?
डॉ.बत्तुल हमिद लॉ कॉलेज की प्रधानाध्यापिका हैं। इसके बाद भी वे कर्नाटक उच्च न्यायालय के निर्णय को क्या नहीं मानतीं? उस निर्णय में न्यायालय में स्पष्ट किया है कि, इस्लाम हिजाब पहनने को लेकर क्या स्थिति है।

आरोप झूठे
वसई के विधायक हितेंद्र ठाकुर का परिवार ‘विष्णू वामन ठाकुर चेरिटेबल ट्रस्ट’ संचालित करता है। अंग्रेजी मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा,

डॉ. बत्तुल हमिद को हिजाब के कारण परेशान किया जा रहा है, ऐसी शिकायत लेकर वे कभी नहीं आई। आप कभी भी हमारे कॉलेज में आइए और देखिये कैसे हिजाब पहनी हुई छात्राएं पढ़ने आती हैं। हमारे यहां विभिन्न जाति और संप्रदाय को माननेवाले शैक्षणिक और गैर शिक्षण कर्मचारी कार्यरत् हैं, परंतु उन्होंने कभी कोई भेदभाव महसूस नहीं किया। हमने हमेशा सभी धर्मों का सम्मान किया है। यदि बुर्का या हिजाब को लेकर हमारे अंदर कोई दुराभाव होता तो हम उन्हें इतने बड़े पद पर क्यों नियुक्त करते? उनके आरोप झूठे हैं। मुझे बताया गया कि, प्रधानाध्यापिका ने 16 मार्च, 2022 को लगभग 11 बजे त्यागपत्र दे दिया है, परंतु वे कभी प्रबंधन के पास नहीं आईं।

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