कर्नाटक में हिजाब विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले और सर्वोच्च न्यायालय की सुनवाई में जल्दबाजी की जरुरत नहीं होने की टिप्पणी के बाद भी मुस्लिम छात्राएं हिजाब पहनने की अपनी जिद पर अड़ी हैं।
इस बीच कर्नाटक के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने स्पष्ट कर दिया है कि 10वीं की परीक्षा में हिजाब पहनने की जरुरत नहीं होगी। यह परीक्षा 11 अप्रैल को संपन्न होगी। प्रदेश में 3,400 से अधिक केंद्रों पर 8.76 लाख से अधिक छात्र परीक्षा में शामिल हो रहे हैं।
नहीं ली जाएगी फिर से परीक्षा
नागेश ने कहा कि उच्च न्यायालय के फैसले के बाद हमने हिजाब या स्कार्फ पहनने की इजाजत नहीं देने का फैसला किया है। हमने इसे लेकर पूरी तरह स्पष्ट कर दिया है कि हिजाब पहनकर वे कैंपस में आ सकती हैं, लेकिन उन्हें कक्षा में जाने से पहले उसे उतारना होगा। पूरी परीक्षा के दौरान यह स्थिति लागू होगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि परीक्षा छोड़ने वाली छात्राओं के लिए फिर से परीक्षा नहीं आयोजित की जाएगी।
परिधान संहिता के उल्लंघन की कोई गुंजाइश नहीं
शिक्षा मंत्री ने कहा कि कर्नाटक शिक्षा कानून और नियम के अनुसार धार्मिक भावनाएं समान परिधान संहिता का हिस्सा नहीं होना चाहिए। उच्च न्यायालय ने यही अधिसूचना बरकरार रखी। अब परिधान संहिता के उल्लंघन की कोई गुंजाइश नहीं है।
दो ही रास्ते
इस स्थिति में हिजाब पहनने की जिद पर अड़ी छात्राओं के सामने दो ही रास्ते हैं। या तो वे बिना हिजाब के परीक्षा में शामिल हों या फिर परीक्षा छोड़कर सर्वोच्च न्यायालय में आने वाले फैसले का इंतजार करें। हालांकि यह फैसला कब आएगा और क्या आएगा, इस बारे में कुछ भी निश्चित नहीं है।