पश्चिम बंगाल विधानसभा में 28 मार्च को मर्यादा की सभी सीमाएं टूट गईं। जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के राज में बस्तियों में हो रही हिंसा पर विधायकों का उग्र रूप विधान सभा में भी देखने को मिला। जहां सत्तारूढ़ तृमणूल कांग्रेस के विधायकों और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के विधायकों के बीच हाथापाई हो गई। इस प्रकरण में विधानसभा अध्यक्ष ने भाजपा के पांच विधायकों को निलंबित कर दिया है।
बंगाल विधानसभा अध्यक्ष विमान बनर्जी ने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और वरिष्ठ भाजपा विधायक शुभेंदु अधिकारी के साथ भाजपा के मुख्य सचेतक मनोज टिग्गा, विधायक शंकर घोष, दीपक वर्मन और नरहरी महतो को निलंबित कर दिया है। विधानसभा के चालू सत्र में ये पांचों विधायक भाग नहीं ले सकेंगे।
भाजपा का ममता सरकार पर हमला
इधर, बंगाल विधानसभा में हिंसा की इस घटना को लेकर भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेताओं ने भी राज्य सरकार हमले शुरू कर दिए हैं। पार्टी की आईटी सेल के प्रमुख और उत्तर बंगाल के प्रभारी अमित मालवीय ने ट्विटर पर लिखा है कि, ‘बंगाल के राज्यपाल के बाद, तृणमूल विधायकों ने अब मुख्य सचेतक मनोज टिग्गा सहित भाजपा विधायकों पर हमला किया क्योंकि वे सदन के पटल पर बीरभूम नरसंहार पर चर्चा की मांग कर रहे थे। आखिर ममता बनर्जी क्या छुपाना चाहती हैं।’
ममता पर साधा निशाना
दूसरी और भारतीय जनता पार्टी के सांगठनिक महासचिव बीएल संतोष ने भी हिंसा की इस घटना को लेकर ममता बनर्जी पर हमला बोला है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा है कि ममता बनर्जी के तीसरी बार राज्य की कमान संभालने के बाद से राज्य की राजनीति में गिरावट अंतिम सीमा तक पहुंच गई है। आज भारतीय जनता पार्टी के मुख्य सचेतक मनोज टिग्गा और अन्य विधायकों को विधानसभा के अंदर तृणमूल कांग्रेस के विधायकों ने मारा पीटा है। घटना के बाद नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने कहा, “जिस तरह से बीरभूम नरसंहार में आठ लोगों को जिंदा जला दिया गया वहीं गुंडागर्दी विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस के गुंडे विधायक कर रहे हैं।”