अब कमल की ‘मन’से मैत्री!

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शिवसेना के साथ छोड़ने के बाद भारतीय जनता पार्टी अकेली पड़ गई है। इसका खमियाजा भी उसे भुगतना पड़ रहा है। महाविकास आघाड़ी के बैनर तले शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के आने से हर चुनाव में बीजेपी को मुंह की खानी पड़ रही है। इसलिए अब वह नये साथी की तलाश में लगी है। इस बीच कहा जा रहा है कि वह भविष्य में स्थानीय निकाय चुनावों के लिए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ा सकती है। हालांकि वह मनसे से सीधे-सीधे गठबंधन करने के मूड में नहीं लग रही है।

मिली जानकारी के अनुसार बीजेपी के कई नेताओं ने आगे के चुनाव मनसे के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की सलाह दी है। लेकिन पार्टी का एक गुट मनसे के साथ गठबंधन करने से इनकार कर रहा है। अब चर्चा है कि बीजेपी मनसे के साथ गठबंधन नहीं, दोस्ती कर आगे के चुनाव में उतर सकती है।

क्यों कतरा रही है बीजेपी?
मनसे कई बार परप्रांतीय जैसे मुद्दे उठाकर बिहार और यूपी के लोगों के साथ मारपीट कर चुकी है। बीजेपी के लिए मनसे का यह इतिहास नुकसानकारक हो सकता है। इसका कारण यह है कि भारतीय जनता पार्टी के उत्तरभारतीय मतदाता काफी अधिक हैं। मनसे से गठबंधन करने की हालत में उत्तर भारतीय मतदाता उससे नाराज हो सकते हैं। इसलिए बीजेपी मनसे के साथ युति करने से कतरा रही है। इस बारे में खुद बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस कह चुके हैं कि बीजेपी के एक राष्ट्रीय पार्टी होने से हमारी व्यापक भूमिका है। इसलिए राज ठाकरे की जो मराठियों को लेकर भूमिका है, वह हमें स्वीकार नहीं है। उसे मराठियों के हितों के लिए लड़ना चाहिए, लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि वो इसके लिए अन्य लोगों को अपमानित करे, उनके साथ मारपीट करे।

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युति नहीं, सिर्फ दोस्ती
मनसे के साथ युति करने से इनकार कर बीजेपी ने अब अप्रत्यक्ष युति करने की रणनाति बनाई है। इस रणनीति के तहत वह नवी मुंबई और नाशिक महानगरपालिका के चुनाव लड़ सकती है। अगर यह फार्मूला सफल होता है तो 2022 के मुंबई महानगरपालिका चुनाव में भी इसे आजमाया जा सकता है।

शिवसेना मतदाता नाराज
कहा यह भी जा रहा है कि शिवसेना के बीजेपी के साथ चुनाव लड़ने के बाद उससे अलग होने और फिर कांग्रेस तथा एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने से उसके काफी मतदाता नाराज हैं। उनका कहना है कि शिवसेना ने वोट तो हिंदुत्व के नाम पर मांगे लेकिन सत्ता सुख के लिए अन्य पार्टियों से गठबंधन कर लिया। इन मतादाताओं के मनसे के साथ जाने की संभावना है, जबकि ऐसे मतदाताओं के बीजेपी के साथ जाने की संभावना काफी कम है। ऐसे में मनसे के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फायदा बीजेपी को हो सकता है।

आशीष शेलार और राज ठाकरे की दोस्ती
इसमें महत्वपूर्ण बात यह है कि बीजेपी के पूर्व मुंबई अध्यक्ष आशीष शेलार और मनसे प्रमुख राज ठाकरे में गहरी दोस्ती है। इस वजह से इस इस तरह की राजनैतिक समीकरण बनाने में शेलार की मुख्य भूमिका होने की बात कही जा रही है।

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