लखीमपुर खीरी कांड में आशीष मिश्रा को मिलेगी राहत या बढ़ेंगी मुश्किलें? इस तिथि को सर्वोच्च न्यायालय में फैसला

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में यूपी सरकार ने सर्वोच्य न्यायालय में शपथपत्र दाखिल किया है। इस मामले के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय से जमानत मिलने के बाद उन्हें 15 जनवरी को जेल से रिहा कर दिया गया।

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लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में यूपी सरकार ने सर्वोच्य न्यायालय में शपथपत्र दाखिल किया है। यूपी सरकार ने कहा है कि उसने आशीष मिश्रा की जमानत का उच्च नयायालय में कड़ा विरोध किया था। यूपी सरकार ने कहा है कि आशीष मिश्रा को मिली जमानत को सर्वोच्य न्यायालय में चुनौती देने पर विचार हो रहा है। सरकार ने कहा है कि मामले के एक गवाह पर हमले और धमकी का आरोप गलत है। यह होली का रंग डालने से जुड़े विवाद में दो पक्षों के बीच मारपीट का मामला है। उल्लेखनीय है कि आशीष मिश्रा को मिली जमानत के खिलाफ सर्वोच्य न्यायालय 30 मार्च को सुनवाई करेगा।

यूपी सरकार को नोटिस जारी
न्यायालय ने 16 मार्च को आशीष मिश्रा और यूपी सरकार को नोटिस जारी किया था। सर्वोच्य न्यायालय ने इस मामले के गवाहों को सुरक्षा देने का आदेश दिया था। न्यायालय ने यूपी सरकार को निर्देश दिया था कि वो गवाह पर हुए हमले पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे। 11 मार्च को लखीमपुर खीरी कांड में मारे गए किसानों के परिजन की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष इस मामले को मेंशन करते हुए सुनवाई की मांग की थी। उन्होंने चीफ जस्टिस से कहा कि इस मामले के एक गवाह पर 10 मार्च की रात हमला हुआ ।

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जमानत को रद्द कराने की मांग
वकील प्रशांत भूषण के जरिए दायर याचिका में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय से मिली जमानत को रद्द कराने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया कि आशीष मिश्रा की जमानत को उत्तर प्रदेश सरकार ने चुनौती नहीं दी, इस लिए हमको न्यायालय आना पड़ा।

चार्जशीट की गई दाखिल 
याचिका में कहा गया है कि इस मामले में चार्जशीट 3 जनवरी को दाखिल की गई है और आशीष मिश्रा ने चार्जशीट की बातों को उच्च न्यायालय के संज्ञान में नहीं लाया। उल्लेखनीय है कि वकील शिवकुमार त्रिपाठी और सीएस पांडा ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इलाहाबाद उच्च न्यायालय का आदेश रद्द करने की मांग की है।

जमानत देकर उच्च न्यायालय ने की गलती
याचिका में कहा गया है कि आशीष मिश्रा को जमानत देकर उच्च न्यायालय ने गलती की है। याचिका में कहा गया है कि अभी तक केंद्रीय मंत्री से पूछताछ नहीं हुई है। इस मामले में एसआईटी का काम असंतोषजनक है। याचिका में कहा गया है कि आरोपित खुलेआम घूम रहे हैं और साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की संभावना है। आशीष मिश्रा के जेल से बाहर आने से गवाहों के प्रभावित होने की आशंका है। गवाहों को अपने जान पर खतरा महसूस हो रहा है। याचिका में एसआईटी से पूरे घटनाक्रम की जानकारी देने का निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में उत्तर प्रदेश सरकार से मुआवजा देने की मांग की गई है।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय से मिली जमानत
उल्लेखनीय है कि आशीष मिश्रा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय से जमानत मिलने के बाद 15 जनवरी को जेल से रिहा कर दिया गया। लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर, 2021 को हुई हिंसा में आठ लोगों की जान चली गई थी। इस मामले में एसआईटी 3 जनवरी को लखीमपुर की न्यायालय में चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। चार्जशीट में आशीष मिश्रा को मुख्य आरोपित बनाया गया है।

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