रतन टाटा को भारत रत्न देने के लिए दायर की थी याचिका, न्यायालय ने यह टिप्पणी करते हुए कर दी खारिज

याचिका में कहा गया था कि रतन टाटा ने पूरी उम्र देश के कल्याण में लगाया है। रतन टाटा ने उद्यमियों को आगे बढ़ने का काफी मौका दिया।

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने उद्योगपति रतन टाटा को भारत रत्न सम्मान देने की मांग खारिज कर दी है। कार्यकारी चीफ जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि ये काम न्यायाल का नहीं है।

सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कहा कि ये किस तरह की याचिका है। न्यायाल जब याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाने जा रहा था, तब याचिकाकर्ता के वकील एके दुबे ने याचिका वापस ले ली। याचिका राकेश कुमार ने दायर की थी।

याचिका में क्या था?
याचिका में कहा गया था कि रतन टाटा ने पूरी उम्र देश के कल्याण में लगाया है। रतन टाटा ने उद्यमियों को आगे बढ़ने का काफी मौका दिया। याचिका में कहा गया है कि रतन टाटा ने टाटा संस के चेयरमैन पद से हटने के बाद व्यक्तिगत तौर पर भी स्टार्टअप में निवेश किया।

कोरोना संकट में योगदान का जिक्र
याचिका में कोरोना संक्रमण के दौरान रतन टाटा के योगदान का जिक्र किया गया था। याचिका में कहा गया था कि देश के लिए महती योगदान देने वाले 48 लोगों को भारत रत्न दिया गया है। सोशल मीडिया पर रतन टाटा को भारत रत्न देने की लगातार मांग की जा रही है। उल्लेखनीय है कि रतन टाटा को 2000 में पद्मभूषण और 2008 में पद्मविभूषण से नवाजा गया था।

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