क्या कहते हैं राज्यसभा के नए आंकड़े, भाजपा का राज तो कौन हुआ बि’ना’राज?

लोकसभा में बहुमत प्राप्त करनेवाली भारतीय जनता पार्टी को उच्च सदन में कड़ा संघर्ष करना पड़ता था। राज्यसभा राज्यों का सदन कहा जाता है, यहां के सांसदों का चुनाव राज्य के विधायक करते हैं। ऐसी स्थिति में भाजपा की घटती बढ़ती संख्या से इसमें बदलाव होते रहे हैं। जो बहुमत को प्रभावित करते हैं।

100

भारतीय जनता पार्टी के लिए अच्छे दिन हैं। 31 मार्च 2022 को राज्यसभा की 13 सीटों के लिए हुए चुनाव ने पार्टी को शतक तक पहुंचा दिया है। केंद्र में सत्ता के बाद भी विधेयक पास कराने के लिए एंड़ी चोटी का जोर लगाने की आवश्यकता पड़ती थी, परंतु, उच्च सदन में भाजपा के बढ़े आंकड़ों ने काम को आसान कर दिया है।

34 वर्ष का कड़ा परिश्रम लगा राज्यसभा में भाजपा को 100 सांसदों के आंकड़े तक पहुंचने में, उसे हमेशा विधेयकों या अन्य निर्णयों के लिए बहुमत प्राप्ति के लिए संघर्ष करना पड़ता था। जो 31 मार्च के चुनाव परिणामों ने कुछ स्तर तक आसान बना दिया है। छह राज्यों में हुए द्विवार्षिक चुनाव में कुल 13 सीटें थीं, जिसमें भाजपा को विपक्ष के खाते की तीन सीटों का लाभ हुआ, जिससे उसका आंकड़ा 100 पर पहुंच गया।

भाजपा ने राज्यसभा सांसदों की संख्या के लिहाज से पहली बार तिहरे अंक में प्रवेश किया है। 1988-90 के बाद सौ सीटों का आकंड़ा पार करनेवाली पहली पार्टी भाजपा है। इसी के साथ कांग्रेस का आंकड़ा 29 सांसदों तक सिमट गया है, जो उसकी न्यूनतम संख्या है। अब राज्सभा में एनडीए यानी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के सदस्यों की संख्या 117 हो गई है।

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रणनीति से ही बचेगा सांसदों का शतक
इस वर्ष 75 सदस्य अपना कार्यकाल पूरा कर रहे हैं। इसमें 7 नॉमिनेटेड सदस्य भी शामिल हैं। अगले पांच महीने राज्यसभा के लिए महत्वपूर्ण है। 31 मार्च को हुए 13 सीटों पर मतदान में सबसे लाभ में आम आदमी पार्टी रही है। उसके 5 सदस्य चुनकर आए हैं। भाजपा ने 4 सीटें जीती हैं जबकि, उसकी युनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल ने एक सीट जीती है।

राज्यसभा में भाजपा बहुमत प्राप्ति का बड़ा लाभ जुलाई में भी ले सकती है। जब अपर हाउस के 52 सांसद सेवा निवृत्त होंगे। यह चुनाव उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश, राजस्थान, बिहार, कर्नाटक, ओडिसा, छत्तीसगढ़, झारखंड और मध्यप्रदेश में होंगे, जिसमें से महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश, राजस्थान, झारखंड और छत्तीसगढ़ की रणनीति ही सैकड़े के आंकड़े को बनाए रखने और आगे बढ़ाने में सहायक होगी।

कांग्रेस बि’ना’राज
वर्ष 1988 में कांग्रेस राज्यसभा में सबसे शक्तिशाली दल था, जब उसके पास 108 सांसदों की संख्या थी। परंतु, इसके बाद से लगातार गिरावट ही कांग्रेस के खाते में आता रहा है। जिसके कारण कभी राज्यसभा में मनचाहा विधेयक और निर्णय पास कर लेनेवाली कांग्रेस अब उच्च सदन में बिना राज के हो गई है। वर्तमान में उसकी सदस्य संख्या 29 के आंकड़े पर पहुंच गई है।

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