Land Jihad बेनकाब हुआ, जम्मू में मुस्लिमों को बसाने का षड्ंयत्र

जम्मू कश्मीर स्वतंत्रता काल से ही पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से पीड़ित रहा है। उसने हिंसा के कई रूपों को झेला है, 1990 में हिंदुओं का नरसंहार प्रदेश की जनसंख्या समीकरण को मुस्लिमों के लिए अनुकूल करने का षड्यंत्र था। यह प्रयत्न अब भी चल रहा है।

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जम्मू कश्मीर राज्य में जम्मू क्षेत्र हिंदू बहुल रहा है। परंतु इसकी वन भूमि पर लंबे काल से अतिक्रमण कार्य होते रहे हैं। कभी रोशनी घोटाला हुआ तो कभी वन क्षेत्र और नदियों को ही अतिक्रमणकर्ताओं ने हड़प लिया। वर्तमान में सरकार ने एक सूची प्रकाशित की है, जो जम्मू में लैंड जिहाद को प्रमाणित करता है।

इक्कजुट्ट जम्मू के अध्यक्ष और सूचना अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता अधिवक्त अंकुश शर्मा लंबे काल से जम्मू कश्मीर में सरकारी भूमि को मुक्त कराने की लड़ाई लड़ते रहे हैं। इसमें सबसे बड़ा घोटाला रोशनी एक्ट के माध्यम से सामने लाया और उसे सर्वोच्च न्यायालय में साबित करके कार्रवाई का आदेश भी करवाया। उस पर सरकार की ओर से कोई कार्रवाई वर्तमान समय तक नहीं हो पाया, लेकिन अब राज्य सरकार द्वारा प्रकाशित वन भूमि अतिक्रमणकर्ता (फॉरेस्ट लैंड एनक्रोचर्स) सूची लैंड जिहाद की गवाही खुद दे रही है।

जम्मू का जातिगत समीकरण
जम्मू में 84 प्रतिशत हिंदू जनसंख्या है, जबकि मुस्लिम 7 प्रतिशत और सिख 7 प्रतिशत हैं। यह वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर सामने आया रिकॉर्ड है। इस स्थिति को देखते हुए सरकारी भूखंडों पर लोगों को बसाने का षड्यंत्र क्या लैंड जिहाद है, यह सबसे पड़ा प्रश्न है।

क्या है सूची में…
Δ कुल वन भूमि अतिक्रमणकर्ता – 996
Δ मुस्लिम 752 (76%)
Δ अन्य 244 (24%)

गांव गुम हो चुके हैं
जम्मू संभाग में भूमि अभिलेख विभाग दो गांवों के कागज ही गायब कर चुका है। आरोप लगा था कि, यह भूखंड रोशनी एक्ट के अंतर्गत अतिक्रमित थी। जम्मू संभाग के बाहु तहसील में आनेवाले चोवाधी और सुंजवान गांव के लथा और मस्सावी (भूमि अभिलेख कागजात जिसमें भूखंडों के स्वामित्व और नक्शे रहते हैं) गायब हो गए। इस प्रकरण में उल्लेखनीय बात यह है कि इन अभिलेखों की दो प्रतियां होती हैं, जिनमें से एक पटवारी के पास और दूसरा भूमि अभिलेखागार (जनरल रिकॉर्ड रूम) में रहती हैं, इन दोनों प्रतियों के गायब होने का खुलासा हुआ था।

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