श्रीलंका में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्ष ने देश में लगे सार्वजनिक आपातकाल को रद्द कर दिया है। सार्वजनिक आपातकाल की लागू होने वाली घोषणा करने वाली असाधारण राजपत्र अधिसूचना को वापस ले लिया गया है। राष्ट्रपति ने 5 अप्रैल की मध्यरात्रि से आपातकाल हटाने घोषणा की है। इससे पहले श्रीलंका में 1 अप्रैल को इमरजेंसी की घोषणा की गई थी।
सबसे बुरे आर्थिक संकट के दौरान पूरे श्रीलंका में विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला भी जारी है। बढ़ती मुद्रा स्फीति (लगभग 19 प्रतिशत) और बिगड़ती स्थितियों के बीच 1948 में अपनी स्वतंत्रता के बाद से श्रीलंका अपने सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है।
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आर्थिक संकट से गुजर रहे
भोजन की कमी के साथ-साथ 13 घंटे की रोजाना बिजली कटौती के साथ नागरिक भीषण गर्मी का सामना कर रहे हैं। संकट इतना गंभीर है कि सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका के गवर्नर अजित निवार्ड कैबराल ने भी पद छोड़ने की पेशकश की थी। श्रीलंका में आर्थिक संकट और तेज हो गया, क्योंकि कोविड-19 महामारी ने अपने प्रमुख क्षेत्र, यानी पर्यटन को धीमा कर दिया, जिसने बदले में इसके विदेशी मुद्रा संकट को बढ़ा दिया।
श्रीलंका में बढ़ते विरोध प्रदर्शन और राजनेताओं की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने जैसी घटनाओं के बीच देश की सेना ने 5 अप्रैल को प्रदर्शनकारियों को हिंसा का सहारा लेने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी।
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