ऐप आधारित टैक्सी संचालकों के पास शिकायतों को सुलझाने की प्रणाली जटिल और अप्रभावित है। इस विषय पर एक याचिका बॉम्बे उच्च न्यायालय में दायर की गई थी। न्यायालय ने इस विषय को गंभीरता से लेते हुए आदेश दिया है कि, सभी कैब एग्रिगेटर्स जिसमें उबर इंडिया और ओला का भी समावेश है, के लिए केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए मोटर व्हिकल एग्रीगेटर्स गाइडलाइन्स 2020 का पालन आवश्य होगा।
न्यायालय ने कहा है कि महाराष्ट्र सरकार से आशा है कि, वह एग्रीगेटर्स के पास दर्ज शिकायतों और अनुभवों को देखे। शिकायतों का समयानुकूल प्रणाली से निपटान आवश्यक है। राज्य सरकार के पास अधिकार है कि वह नए दिशानिर्देश लागू कर सकती है। जो भी प्रणाली लागू की जाती है, वह लोगों के लिए आसान हों।
ऐप आधारित टैक्सियों से संबंधित शिकायतों और सुझावों के निपटारे को लेकर एक याचिका मुंबई की अधिवक्ता सविना क्रास्टो ने दायर की थी। इस पर सुनवाई बॉम्बे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायाधीश मकरंद एस कर्णिक कर रहे हैं।
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एग्रीगेटर्स के लाइसेंस पर लें निर्णय
न्यायाधीशों ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि, टैक्सी एग्रिगेटर्स के लाइसेंस संबंधी आवेदन प्राप्त होने के पंद्रह दिनों में निर्णय लिया जाए। जब तक राज्य सरकार द्वारा बनाया जा रहा ‘महाराष्ट्र रेग्युलेशन ऑफ एग्रिगेटर्स रूल्स 2021’ लागू नहीं होता, तब तक केंद्र सरकार का दिशानिर्देश ‘मोटर व्हिकल एग्रीगेटर्स गाइडलाइन्स 2020’ लागू रहेगा।
याचिकाकर्ता को भी न्यायालय ने कहा है कि, वह टैक्सी यात्रियों के हितों को प्रतिज्ञा पत्र के माध्यम से जमा कराए, जिससे 20 जून की अगली सुनवाई में उस पर निर्णय लिया जा सके।
ओला उबर को मिला है प्रोवीजनल लाइसेंस
राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय को सूचित किया कि, ओला और उबर इंडिया प्रोवीजनल लाइसेंस पर संचालन कर रहे हैं। जो 2020 के दिशानिर्देशों के आधार पर दिये गए हैं।
शिकायतों पर सरकार की चुप्पी
इस प्रकरण में याचिकाकर्ता ने न्यायालय में पक्ष रखा है कि, राज्य सरकार ने भले ही कम्प्लायंस रिपोर्ट दायर की हो, परंतु उसने यात्रियों की शिकायतों को लेकर कुछ भी नहीं कहा है। इसके अलावा राज्य सरकार ने अपने दिशानिर्देशों को लेकर जानकारी नहीं दी है कि वह कब तक तैयार होंगे या मोटर व्हिकल एग्रीगेटर्स गाइडलाइन्स 2020 के दिशानिर्देशों का पालन हो रहा है इसकी जांच का मैकेनिज्म क्या है?