पाकिस्तान से लगती राजस्थान की 1070 किलोमीटर लम्बी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सीमा सुरक्षा बल के जवान इन दिनों तपती रेत और गर्म हवा के थपेड़ों के बीच दोहरी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। उनके सामने एक तरफ दुश्मन की नापाक नजरों के साथ घुसपैठ को रोकने की चुनौती है तो दूसरी तरफ लगातार बढ़ते पारे के बीच सरहद को सुरक्षित करने की जिम्मेदारी हैं। गर्म हवा के साथ रेत के खिसकते धोरों पर गश्त कर रहे जवान तपती धरा पर अपने कर्तव्य को निभाने में जुटे हैं।
भीषण गर्मी की चुनौतियों से मुकाबला
पाकिस्तान से सटी पर इन दिनों तापमान 45 डिग्री से अधिक है। राजस्थान के चार जिले पाकिस्तान की सीमा से लगते हैं। इनमें श्रीगंगानगर की सीमा 210 किमी, बीकानेर की 168 किमी, जैसलमेर की 464 किमी और बाड़मेर की 228 किमी हैं। सर्दी और बरसात के दिनों में तो जवान जैसे-तैसे गर्म कपड़े या रेनकोट पहनकर खुद का बचाव कर लेते हैं, लेकिन गर्मी के दिनों में सरहद की निगहबानी तेज धूप और गर्म हवा के थपेड़ों के बीच दुष्कर हो जाती है।
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सीमा की रक्षा
विषम परिस्थितियों के बावजूद सीमा सुरक्षा बल के जवान यथासंभव उपाय कर खुद के साथ सरहद की हिफाजत करते हैं। अंतरराष्ट्रीय सीमा की हिफाजत में जुटे जवान लू-ताप घात से बचाव के लिए जहां चेहरे पर स्कार्फ (कपड़ा) बांधकर सीमा चौकी से गश्त के लिए रवाना होते हैं वहीं साथ में नींबू और पानी की बोतल भी रखते हैं। गर्मी बढ़ने के साथ ही बॉर्डर पर तैनात जवानों की खुराक में कुछ खाद्य वस्तुओं को जोड़ा गया है। अभी दूध, नींबू, ग्लूकोज और सलाद की आपूर्ति बढ़ाई गई है। गश्त पर जाने वाले जवानों के लिए तीन से चार बार ग्लूकोज, नींबू की शिकंजी और छाछ भेजी जाती है। दही और छाछ की जरूरत पूरी करने के लिए सामान्य दिनों की मुकाबले दूध अधिक खरीदा जा रहा है।
200 सीमा चौकियों पर कोल्ड रूम किए गए तैयार
पश्चिमी सीमा पर तैनात जवान गर्मी के दिनों में हर साल लू-ताप घात की चपेट में आते हैं। ऐसे में उन्हें बटालियन मुख्यालय और कुछ चुनिंदा सीमा चौकियों पर बने कोल्ड रूम में रखा जाता था। इस बार बॉर्डर के करीब 200 सीमा चौकियों पर कोल्ड रूम तैयार कर दिए गए हैं। एसी लगे इन कमरों का उपयोग लू की चपेट में आने पर जवान को प्राथमिक उपचार देने के लिए किया जाता है। सीमा चौकियों पर जवानों को दिए जाने वाले भोजन में प्याज और खीरा तथा सलाद की मात्रा बढ़ाई गई है। इससे जवानों का गर्मी से बचाव होता है। धूलभरी आंधी चलने पर ज्यादा दूर तक कुछ भी दिखाई नहीं पड़ता। ऐसे में विशेष प्रकार के चश्मों का उपयोग जवान करते हैं।
रक्षा प्रवक्ता कर्नल अमिताभ शर्मा बताते हैं, “सरहद की निगहबानी करने वाले जवान अपने प्रशिक्षण काल से ही खुद को हर मौसम के हिसाब से ढालते हैं। ऋतु परिवर्तन से पहले उनके लिए एडवायजरी जारी होती है, जिसमें उन्हें खुद की हिफाजत के लिए आवश्यक प्रबंध करने की सलाह दी जाती है और वे इसका पालन भी करते हैं। सभी यूनिट्स हर मौसम के लिए तैयार रहती है।”
गर्मी में जवानों को विशेष हिदायत
सीमा सुरक्षा बल जैसलमेर (उत्तर) के डीआईजी असीम व्यास ने बताया, “गर्मियों के मौसम में बल के जवानों को लू व तापघात से बचने के लिए विशेष रूप से हिदायत दी जाती है कि गर्मी में बचाव और सावधानी के लिए मेडिकल टीम द्वारा जारी हिदायतों का पूर्ण रूप से पालन करें। हीट स्ट्रोक से बचाव के लिए बल द्वारा सीमा चौकियों पर मेडिकल किट, एम्बुलेंस तथा कूल रूम की व्यवस्था की गई है। जवानों के साथ ड्यूटी के दौरान ठंडे पानी की बोतल रहती है। आंधी और रेत के बवंडर से बचने के लिए आंखों पर चश्मा, सिर पर पटका और पूरी बाजू के कपड़े पहनते हैं। खाने में दही, छाछ और प्याज का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा किया जाता है। मेडिकल टीमों द्वारा समय समय पर मेडिकल जांच की जाती है। फिर भी आपातकालीन परिस्थिति से निपटने के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था है।”