हरिद्वार धर्म संसद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से स्टेटस रिपोर्ट मांगी

हरिद्वार में हुई धर्म संसद में तथाकथित भड़काऊ भाषण का आरोप लगा है, जिसके विरुद्ध 76 वकीलों की ओर से चीफ जस्टिस को पत्र भी लिखा गया है।

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सर्वोच्च न्यायालय ने हरिद्वार में धर्म संसद में मुस्लिमों के खिलाफ भड़काऊ बयान के मामले में जांच की प्रगति को लेकर उत्तराखंड सरकार से स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश जारी किया।

न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं को हिमाचल प्रदेश में प्रस्तावित धर्म संसद के खिलाफ दायर नई याचिका की प्रति हिमाचल प्रदेश सरकार को देने की अनुमति दी। न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं को इस प्रस्तावित धर्म संसद के खिलाफ स्थानीय कलेक्टर को प्रतिवेदन देने की छूट दी। न्यायालय ने 12 जनवरी को याचिकाकर्ताओं को इस बात की अनुमति दी थी कि वे दूसरे स्थानों पर हुई ऐसी घटनाओं के खिलाफ स्थानीय प्रशासन को अपना प्रतिवेदन दें।

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याचिका में क्या कहा गया है?
यह याचिका पत्रकार कुर्बान अली और पटना उच्च न्यायालय के पूर्व जज और वकील अंजना प्रकाश ने दायर की है। इसी तरह एक और याचिका देशभर में मुस्लिम विरोधी भड़काऊ भाषण के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए जमीयत उलेमा-ए-हिंद और मौलाना महमूद मदनी ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि मुस्लिमों के खिलाफ भड़काऊ भाषणों की वजह से कई जाने गई हैं। भड़काऊ बयान देने वालों के खिलाफ पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।

बयान का विरोध करते हुए प्रदर्शन
याचिका में उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से यति नरसिंहानंद सरस्वती के बयान के खिलाफ किए गए प्रदर्शन में शामिल सौ से ज्यादा मुस्लिमों की गिरफ्तारी का जिक्र किया गया है। याचिका में हाल में हाल में हरिद्वार के धर्म संसद में किए गए भड़काऊ भाषणों के खिलाफ 76 वकीलों की ओर से चीफ जस्टिस को लिखे गए पत्र का भी जिक्र किया गया है। याचिका में कहा गया है कि भड़काऊ भाषण देने वालों के खिलाफ पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की बल्कि मूकदर्शक बनी रही।

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