भाजपा नेता किरिट सोमैया को सशर्त अग्रिम जमानत

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बॉम्बे उच्च न्यायालय ने भारत के पहले एयक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत को संरक्षित करने के लिए एकत्र किये गए चंदा के प्रकरण में किरिट सोमैया को अग्रिम जमानत दे दी है। इस प्रकरण में उन पर धोखाधड़ी और धन खुद रख लेने का आरोप लगाते हुए एफआईआर पंजीकत की गई है। यह एफआईआर मुंबई के चेंबूर क्षेत्र के ट्रॉम्बे पुलिस थाने में एक पूर्व सैन्यकर्मी ने लिखाई है।

बॉम्बे उच्च न्यायालय की एकल पीठ की न्यायाधीश अनुजा प्रभुदेसाई ने अपने आदेश में कहा है कि, याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी की स्थिति में उन्हें 50 हजार रुपए के निजी मुचलके पर तत्काल छोड़ दिया जाए। इसके अलावा याचिकाकर्ता को जांच अधिकारी के समक्ष 18 अप्रैल से चार दिन 11 बजे से 2 बजे के बीच प्रस्तुत होना होगा। इस प्रकरण मे अगली सुनवाई अब 28 अप्रैल को होगी।

क्या है एफआईआर का आधार
इस प्रकरण में बॉम्बे उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने पाया कि, ट्रॉम्बे पुलिस थाने में पूर्व पुलिस अधिकारी की शिकायत मीडिया रिपोर्ट के आधार पर है। इसमें 57 करोड़ रुपए के एकत्रिकरण का आंकड़ा कहां से आया, इस बारे में कोई स्पष्टीकरण न्यायालय में एफआईआर कर्ता की ओर से प्रस्तुत नहीं हो पाया है। इसके साथ ही शिकायत 2022 में दर्ज की गई है, जबकि चंदा 2013 में इकट्टा किया गया था।

क्या है शिकायत?
ट्रॉम्बे पुलिस थाने में धोखाधड़ी की शिकायत एक पूर्व सैन्यकर्मी ने पंजीकृत कराई है। उनका दावा है कि, किरिट सोमैया उनके पुत्र नील सोमैया ने वर्ष 2013 में अन्य लोगों के साथ मिलकर चंदा इकट्ठा किया था। जिसका उद्देश्य था कि, आईएनएस विक्रांत को भंगार में जाने से रोका जा सके।

शिकायतकर्ता का दावा है कि, 1971 के युद्ध में आईएनएस की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए उन्होंने 2 हजार रुपए का चंदा दिया था। लेकिन 2014 में उन्हें पता चला कि, युद्धक विमान भंगार में 60 करोड़ रुपए में बेच दिया गया। सोमैया ने ट्वीट किया था कि, उन्होंने राज्यपाल को वर्ष 2013 में पत्र लिखा था कि, मुंबई के लोगों का आईएनएस विक्रांत को बचाने के लिए चंदा देना चाहते हैं। जबकि, एफआईआर दायरकर्ता का दावा है कि, वर्ष 2013-14 के बीच राज्यपाल ने सोमैया से कोई पैसा प्राप्त नहीं किया है।

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