महाराष्ट्र में तबादलों के लेकर एक नई सूचना है। जिसमें एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी का एक साल में 6ठीं बार तबादला किया गया है। जिससे अब सरकार की मंशा पर प्रश्न उठने लगा है कि इस अधिकारी का हाल हरियाणा के अशोक खेमका जैसा तो नहीं हो जाएगा।
हरियाणा के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अपने करियर में 50 से अधिक तबादले देख चुके हैं। ऐसा कुछ अब महाराष्ट्र में होता नजर आ रहा है। यहां वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉ.अश्विनी जोशी का पिछले एक साल में 6ठीं बार तबदला हुआ है। अब उन्हें नागपुर में भेजा गया है।
बता दें कि, राज्य सरकार के घटक दलों में तबादलों के लेकर मतभिन्नता चर्चा में रही है। कभी मंत्री द्वारा तबादलों को दी गई मान्यता से मुख्यमंत्री होल्ड कर देते हैं तो कभी पुलिस विभाग के तबादले मंत्रालय के इशारों पर होने का आरोप लगने लगा हैं।
फडणवीस की भरोसेमंद होने की सजा!
पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के भरोसेमंद अधिकारियों को हाशिये पर पोस्टिंग करने की तथाकथित कोशिश वर्तमान उद्धव सरकार द्वारा की जा रही है। इसी क्रम में डॉ.अश्विनी जोशी को एक वर्ष में छह जगहों पर पोस्टिंग की गई है। मुंबई महानगरपालिका के लोकमान्य तिलक अस्पताल के विस्तारित इमारत के निर्माण में खामियां होने के कारण तत्कालीन आयुक्त डॉ. जोशी द्वारा मान्यता देने से इनकार, अस्पताल में दवा आपूर्ति करने के काम में खामी होने की वजह से कंपनियों पर कार्रवाई और कोलाबा में सूखा कचरा को अलग करने का ठेका दिल्ली की कंपनी को देने को लेकर नाराजगी जताने के बाद उद्धव सरकार डॉ.जोशी से घबराने लगी है।
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अब नागपुर में तबादला
कर्मनिष्ठ, अनुशासन प्रिय लेकिन आक्रामक आईएएस अधिकारी के रुप में मशहूर डॉ. अश्विनी जोशी का 9 दिसंबर को नागपुर में तबादला कर दिया गया। 28 नवंबर को महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार ने एक वर्ष पूरा किया है। इस एक वर्ष में डॉ. जोशी की पोस्टिंग छह जगहों पर किए जाने से उसकी मंशा पर सवाल उठने लगे हैं।
शिवसेना के निशाने पर रही हैं डॉ. जोशी
2006 बैच की आईएएस अधिकारी डॉ. अश्विनी जोशी के साथ सरकार का इस तरह का व्यवहार बदला लेने के लिए किए जाने की बात कही जा रही है। डॉ. जोशी को 2019 में मुंबई महानगरपालिका मे अतिरिक्त आयुक्त के पद पर नियुक्त किया गया था। उनके पास पश्चिम उपनगर की जिम्मेदारी दी गई थी। इसके तहत स्वास्थ्य विभाग, बीएमसी की इमारतों की देखरेख ,आपातकालीन व्यवस्था, अग्निशमन दल,टेक्स्टाइल्स और म्यजियम आदि विभाग शामिल थे। एक हफ्ते के बाद घनकचरा व्यवस्थापन विभाग भी उनके खाते में डाल दिया गया। मनपा अधिकारियों के लिए किसी भी विभाग की जानकारी लेने के लिए तीन महीने का समय तय किया गया है। लेकिन सत्ताधारी शिवसेना ने उनके काम को लेकर तरह-तरह के आरोप लगाने शुरू कर दिए थे। इसके साथ ही उनके काम करने के तौर-तरीकों पर भी नाराजगी जताई थी। स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष अमेय घोले ने उके विरोध में अविश्वास प्रस्ताव लाने की भी तैयारी दिखाई थी। कई दिनों बाद स्थायी समिति अध्यक्ष यशवंत जाधव ने महानगरपालिका सभागृह में जोशी की उपस्थिति में कहा था कि अगर आपको मनपा में काम नहीं करना है तो फिर से सरकार के पास जाना पडे़गा। उसके बाद से अनुमान लगाया जा रहा था कि डॉ. जोशी का तबादला तय है।
कर्मनिष्ठ अधिकारी के रुप में पहचान
बता दें कि मुंबई उपनगर के अतिरिक्त आयुक्त,ठाण जिलाधिकारी और मुंबई जिलाधिकारी के पद पर रहते हुए भी उन्होंने खुद को अनुसशासनप्रिय होने का परिचय दिया था। राज्य उत्पादन शुल्क के आयुक्त पद पर रहते हुए भी उन्होंने कई रिश्वतखोरी के मामले उजागर किए थे। उनके दो वर्ष के कार्यकाल में इस विभाग में राजस्व में करोड़ों रुपए वृद्धि हुई थी।