आदि मानव सभ्यता के प्रमाण बरामद! जानें, कितने पुराने हैं मिले औजार

विदिशा के ढकना-चपना पुरास्थल एसबी ओता एवं मिनर्वा सोनोवाल की निजी भूमि है। कुछ वर्ष पूर्व इस स्थल से इन दो पुरात्वविदों ने आदिमानव के कुछ औजार एकत्रित किये थे।

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विदिशा के विश्व धरोहर सांची अपनी प्राचीनता को समेटे हुए है, जिसका इतिहास लगभग तीसरी शताब्दी के आस-पास का बताया जाता है। लेकिन लाखों वर्ष पुराने पुरात्व इतिहास की तस्वीर ढकना-चपना में सामने आई है। यहां की धरा पर सेवानिवृत्त एसबी ओता एवं मिनर्वा सोनोवाल की निजी भूमि पर खुदाई के दौरान औजार जैसे पुरात्व अवशेष मिले हैं। बताया जा रहा है कि वह आदिमानव काल के हैं।

ढकना-चपना पुरास्थल एसबी ओता एवं मिनर्वा सोनोवाल की निजी भूमि है। कुछ वर्ष पूर्व इस स्थल से इन दो पुरात्वविदों ने आदिमानव के कुछ औजार एकत्रित किये थे। इस वर्ष भी यहां पुन: निर्माण कार्य के गड्ढे खोदे गए। इन गड्ढों से काफी मात्रा में आदिमानव के औजार मिले हैं।

ये औजार बरामद
इन पत्थर के औजारों में हस्त-कुठार, खुरचनी, क्लीवर,( हैंडएक्स, स्क्रेपर्स), बड़े फ्लेक्स, चॉपर जैसे औजार, कोर (बड़ा पत्थर जिनसे फ्लेक्स निकले गए हो), छोटे आकर के फ्लेक्स इत्यादि खोदी गयी मिट्टी से निकला गया। एक जिम्मेदार पुरात्वविद की भांति उन आदिमानव से सम्बंधित साक्ष्य को लैब में निरीक्षण के लिए एकत्रित कर लिया गया। इन औजारों की समानता, अवस्था देखते हुए यह कहा जा सकता है कि संभवत: यह उपकरण कम से कम 10 लाख साल पुराने हो सकते हैं और काफी हद तक रायसेन जिले की पुरास्थल तिकोदा एवं दामडोंगरी से मिलने वाले औजारो के काफी समानता भी रखते हैं।

पहले भी मिलते रहे हैं ऐसे प्रमाण
वैसे तो आदि मानव के उपस्थिति के प्रमाण मप्र की पहाड़ियों एवं नदियों के कटाव में मिल ही जाते हैं। भीमबेटका, आदमगढ़, बलवाड़ा, बालमपुर इत्यादि पुरास्थलों पर आदि मानव का निवास था, इस बात के प्रमाण हमें आदि मानव द्वारा छोड़े गए औजारों के रूप में मिलते हैं। ऐसी ही एक और महत्वपूर्ण पुरास्थल रायसेन जिले में स्थित टिकोड़ा एवं दामडोंगरी है जहां आदि मानव के रहने के साक्ष्य सतह पर प्रचुर मात्रा में फैले हुए हैं।

सर्वेक्षण कार्य के दौरान मिले औजार
आदि मानव के उपस्थिति एवं फैलाव को समझने के लिए टिकोड़ा एवं दामडोंगरी पुरास्थलों पर अध्ययन करने वाले दो प्रागैतिहासिक पुरात्वविद सुमन पांडेय एवं निहारिका श्रीवास्तव ने एसबी ओता (सेवानृवित संयुक्त महानिदेशक, भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण नई दिल्ली ) के मार्गदर्शन में सांची के कुछ क्षेत्र में भी सर्वेक्षण कार्य किया। जिस दौरान उन्हें इस क्षेत्र से आदिमानव के जीवन-यापन के प्रमाण मिले। उनमें से एक पाषाणयुगीन पुरास्थल ढकना- चपना में स्थित है।

10 लाख वर्ष पुराने प्राचीन सभ्यता के अवशेष मिले हैं
सेवानृवित्त संयुक्त महानिदेशक भारतीय सर्वेक्षण नई दिल्ली एसबी ओता ने बताया कि सांची के पास ढकना चपना गांव में मेरी निजी भूमि पर खुदाई के कम से कम 10 लाख वर्ष पुराने प्राचीन सभ्यता के अवशेष मिले हैं, उस पर रिसर्च चल रहा है।

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