महाराष्ट्र के पूर्व ऊर्जा मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि महाविकास अघाड़ी सरकार में ऊर्जा विभाग तथा राजस्व मंत्रालय के विवाद की वजह से सूबे में बिजली संकट गहराते जा रहा है। इससे राज्य में अघोषित बिजली कटौती शुरू हो गई है।
बावनकुले ने कहा कि राजस्व मंत्रालय ने “ऊर्जा” के लिए 18,000 करोड़ रुपये अलग रखे हैं, लेकिन यह रकम उर्जा विभाग को नहीं दी जा रही है। उन्होंने राजस्व मंत्रालय को 20,000 करोड़ रुपये उर्जा विभाग को देने की मांग की है।
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दो मंत्रियों के बीच विवाद
चंद्रशेखर बावनकुले ने 14 अप्रैल को पत्रकारों को बताया कि दो मंत्रियों के बीच विवाद का खामियाजा राज्य की जनता भुगत रही है। धन की कमी के कारण ऊर्जा विभाग का नियोजन गड़बड़ा गया और राजस्व मंत्रालय ने भी ऊर्जा विभाग की आरक्षित रकम 18,000 करोड़ रुपये रोक दी। केंद्र सरकार राज्य में बिजली संकट से बचने के लिए कोयले का भंडारण करने के निर्देश दे रही थी, लेकिन धन की कमी की वजह से राज्य सरकार कोयले का भंडारण नहीं कर सकी।
राज्य पर बिजली का संकट बढ़ा
बावनकुले ने कहा कि इस समय राज्य में 3,000 मेगावाट का लोड शेडिंग है और बिजली बचाने का संदेश दिया जा रहा है, जो गलत है। महाविकास आघाड़ी सरकार की ओर सही तरीके से नियोजन नहीं किए जाने से ही राज्य पर बिजली का संकट बढ़ा है और राज्य सरकार इसका ठीकरा केंद्र सरकार पर कोयला न देने की बात कर फोड़ना चाहती है, जो गलत है।
एनटीपीसी ने कम लागत में 750 मेगावाट बिजली प्रदान
चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि हाल ही में एनटीपीसी ने राज्य को कम लागत पर 750 मेगावाट बिजली प्रदान की है और वे रेलवे द्वारा संग्रहीत कोयले को राज्य को सौंपने के लिए तैयार हैं, लेकिन पैसे के अभाव में कोई रास्ता नहीं निकल रहा है। अगर आज राज्य में अंधेरा छा गया तो महाविकास अघाड़ी में तीनों पक्षों की जिम्मेदारी होगी।