पीटीआई के सांसदों का इस्तीफा मंजूर, विपक्ष विहीन हुई पाकिस्तानी संसद! क्या होगा आम चुनाव?

पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को देशद्रोह के आरोपों का सामना करना पड़ सकता है।

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इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के 123 सांसदों के इस्तीफा देने के बाद पाकिस्तान नेशनल असेंबली अब विपक्ष विहीन हो गया है।

नेशनल असेंबली के कार्यवाहक अध्यक्ष कासिम सूरी ने पार्टी के 123 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लिए हैं। यह जानकारी पीटीआई नेता और पूर्व मंत्री फारुख हबीब ने दी। इस संबंध में एक अधिसूचना भी जारी की गई है। फारूख हबीब ने कहा कि पीटीआई सांसदों के इस्तीफे स्वीकार करने के बाद पाकिस्तान में आम चुनाव अब अपरिहार्य हो गए हैं।

निचले सदन के सदस्य पहले ही दे चुके हैं इस्तीफा
इस बीच, पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने पाकिस्तानी चुनाव आयोग को एक पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि पीटीआई के किसी भी सदस्य को किसी भी समिति में नामित नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि पार्टी के सांसदों ने 11 अप्रैल को संसद के निचले सदन से अपना इस्तीफा पहले ही दे दिया था।

इमरान खान ने लिखा पत्र
इमरान खान ने अपने पत्र में लिखा कि पाकिस्तान के आंतरिक मामलों और उससे जुड़ी घटनाओं और परिस्थितियों में विदेशी हस्तक्षेप के मद्देनजर, पीटीआई ने शासन परिवर्तन और आयातित सरकार के गठन के असंवैधानिक अभ्यास का हिस्सा नहीं बनने का फैसला किया। इमरान ने बताया कि नेशनल असेंबली में पीटीआई का कोई प्रतिनिधि नहीं है, जबकि संविधान के अनुच्छेद 63-ए के तहत दलबदलुओं के खिलाफ पहले ही कार्रवाई की जा चुकी है।

पूर्व प्रधानमंत्री पर चल सकता है देशद्रोह
वहीं, पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को देशद्रोह के आरोपों का सामना करना पड़ सकता है। इमरान ने अपने विरोधियों से लड़ने में संविधान के जिन प्रावधानों की अनदेखी की अब वे ही उनके खिलाफ देशद्रोह के मामले में आरोपों की वजह बन सकते हैं। इमरान खान ने सत्ता के अंतिम दिनों में विरोधियों को कुचलने की कोशिशों के साथ-साथ संवैधानिक प्रावधानों की भी कथित तौर पर अनदेखी की थी। अब इसके बदले इमरान को देशद्रोह के नए आरोपों और संभावित मुकदमे का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, इमरान खान के लिए राहत की बात यह है कि इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनल्लाह ने इनमें से एक याचिका को खारिज कर दिया है।

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