ज्ञानवापी परिसर स्थित मां शृंगार गौरी की प्रतिदिन पूजा-अर्चना करने और परिसर स्थित अन्य देवी-देवताओं के विग्रहों के मामले में 20 अप्रैल को सिविल जज (सीनियर डिविजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत में पक्षकारों की बहस पूरी हो गई। अदालत ने बहस सुनने के पश्चात फैसला सुरक्षित रख लिया और आदेश के लिए 26 अप्रैल की तिथि मुकर्रर कर दी।
न्यायालय ने दाखिल याचिका पर परिसर में वस्तुस्थिति जानने के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया था। इस मामले में न्यायालय ने वीडियोग्राफी के जरिए पूरी पड़ताल के बाद 20 अप्रैल तक अपनी रिपोर्ट सबमिट करने का आदेश दिया था। मामले में जिला प्रशासन की ओर से बीते दिनों न्यायालय में सर्वे के खिलाफ अर्जी दाखिल की गई। इसमें बताया गया कि सर्वे से ज्ञानवापी परिसर की सुरक्षा व्यवस्था भंग हो सकती है। परिसर की वीडियोग्राफी से भविष्य में खतरे की आशंका है, इसलिए ऐसा न कराया जाए।
मामला अति संवेदनशील
प्रार्थना पत्र में यह भी कहा गया था कि चूंकि यह मामला अति संवेदनशील है और इससे कानून व्यवस्था भी जुड़ी है, इसलिए इस पर शीघ्र सुनवाई की जाए। अदालत ने इस प्रार्थना पत्र पर वादी पक्ष से आपत्ति मांगते हुए 20 अप्रैल को सुनवाई के लिए तिथि निर्धारित की थी। मामले में सिविल जज (सीनियर डिविजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत में पक्षकारों की बहस पुरी हुईं।
वादी पक्ष की दलील
उधर, वादी पक्ष की दलील थी कि कमीशन की कार्रवाई का उद्देश्य मौके पर कोई कब्जा करना नहीं अलबत्ता मां श्रृंगार गौरी की मंदिर से जुड़े साक्ष्य को अदालत के समक्ष लाना है। वादी पक्ष ने कमीशन की कार्रवाई पूरी कराने की न्यायालय से अपील की। सुनवाई के दौरान अंजुमन इंतजामिया मस्जिद की ओर से अधिवक्ताओं ने भी अपना पक्ष रखा।
इन्होंने दायर किया है मुकदमा
बता दें कि नई दिल्ली निवासी राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, सीता शाहू, मंजू व्यास व रेखा पाठक की तरफ से 18 अगस्त 2021 को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में वाद दाखिल किया गया था। वाद में कहा गया है कि भक्तों को मां श्रृंगार गौरी के दैनिक दर्शन-पूजन एवं अन्य अनुष्ठान करने की अनुमति देने के साथ ही परिसर में स्थित भगवान गणेश, हनुमान, नंदी जी एवं अन्य देवताओं के विग्रहों को सुरक्षित रखा जाए।